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सहकारी बैंकों के खाताधारकों के साथ नहीं होगा अन्याय, मोदी सरकार ने उठाया ये कदम

कांग्रेस के शशि थरूर और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय सहित कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने का विरोध किया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही है.

Updated on: 14 Sep 2020, 04:36 PM

संसद:

लोकसभा में सोमवार को बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक पेश किया गया जिसमें जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये बेहतर प्रबंधन और समुचित नियमन के जरिये सहकारी बैंकों को बैकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप बनाने का प्रावधान किया गया है. कांग्रेस के शशि थरूर और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय सहित कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने का विरोध किया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही है. विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि राज्यों के सहकारिता कानूनों को नहीं छुआ गया है और प्रस्तावित कानून इन बैंकों में वैसा ही नियमन लाना चाहता है, जैसे दूसरे बैंकों पर लागू होते हैं.

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277 शहरी सहकारी बैंकों के नुकसान में होने की खबर: निर्मला सीतारमण
उन्होंने कहा कि यह उन सहकारी बैंकों पर लागू होगा जो बैंक, बैंकर और बैंकिंग से संबंधित होंगे. उन्होंने कहा कि 277 शहरी सहकारी बैंकों के नुकसान में होने की खबरें हैं. इससे पहले थरूर ने कहा कि यह विधेयक संघीय ढांचे का अतिक्रमण है. वहीं, सौगत राय ने दावा किया कि राज्यों के अधिकारों को निशाना बनाया जा रहा है.

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सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों राय की एक टिप्पणी का कड़ा विरोध किया जिसमें सीतारमण को निशाना बनाया गया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे माफी मांगने की मांग की. लोकसभा अध्यक्ष ने राय की इस टिप्पणी को कार्यवाही से बाहर कर दिया । वित्त मंत्री ने आढ़त (फेक्टरिंग) नियमन संशोधन विधेयक 2020 भी सदन में पेश किया.