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RBI Credit Policy 2020: लगातार तीसरी बार ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है RBI

RBI Credit Policy 2020: विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने की वजह से मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) संभवत: एक बार फिर ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगी.

Updated on: 30 Nov 2020, 10:10 AM

नई दिल्ली:

RBI Credit Policy 2020: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा (RBI Monetary Policy) में नीतिगत दरों को लगातार तीसरी बार यथावत रख सकता है. विशेषज्ञों ने यह राय जताई है. विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने की वजह से मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) संभवत: एक बार फिर ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगी.

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2 दिसंबर से शुरू होगी MPC की बैठक
खुदरा मुद्रास्फीति इस समय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. हालांकि, सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रही है, जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक अपने मौद्रिक रुख को नरम रख सकता है. इससे आगे जरूरत होने पर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की दो दिन की बैठक दो दिसंबर से शुरू होगी. बैठक के नतीजों की घोषणा चार दिसंबर को की जाएगी. 

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इस साल फरवरी से रेपो रेट में 1.15 फीसदी की हो चुकी है कटौती
एमपीसी की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक में नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया था. इसकी वजह मुद्रस्फीति में बढ़ोतरी है जो हाल के समय में छह प्रतिशत के स्तर को पार कर गई है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी. इस साल फरवरी से केंद्रीय बैंक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. कोटक महिंद्रा बैंक समूह की अध्यक्ष-उपभोक्ता बैंकिंग शांति एकम्बरम ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. ऐसे में आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित है. हालांकि त्योहारी सीजन की वजह से उपभोक्ता मांग में उत्साहर्धक सुधार देखने को मिला है. 

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क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि रिजर्व बैंक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखेगा. इसी तरह की राय जताते हुए केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मुद्रास्फीति अब भी काफी ऊपर है. ऐसे में रिजर्व बैंक के पास नीतिगत दरों को यथावत रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसके अलावा भी चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश काफी हद तक समाप्त हो चुकी है. ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अब काफी अधिक है. ऐसे में एमपीसी द्वारा ब्याज दरों में बदलाव की संभावना नही है.

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मनीबॉक्स फाइनेंस के सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति काफी ऊंची है. मुख्य मुद्रास्फीति भी अधिक है. ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को यथावत रखेगा. रीयल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने का कि रीयल एस्टेट की वृद्धि निचली ब्याज दरों पर टिकी है. ऐसे में हम चाहते हैं कि रेपो दर में कटौती हो.