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चाय बेचने वाले की बेटी को मिली थी अमेरिका में 4 करोड़ की स्कॉलरशिप, छेड़छाड़ के बाद सड़क हादसे में हुई मौत

गौतमबुद्ध नगर के आसमान का चमकता सितारा टूट गया. दादरी तहसील के डेयरी स्कैनर की रहने वाली होनहार छात्रा सुदीक्षा की सड़क हादसे में मौत हो गई.

News Nation Bureau
| Edited By :
11 Aug 2020, 08:59:05 AM (IST)

नोएडा:

नोएडा. आज फिर एक तारा टूट गया. सड़क निर्दोष के खून से लाल हुई और एक परिवार का सपना बिखर गया. सोमवार को गौतमबुद्ध नगर के आसमान का चमकता सितारा टूट गया. दादरी तहसील के डेयरी स्कैनर की रहने वाली होनहार छात्रा सुदीक्षा की सड़क हादसे में मौत हो गई. उसे अमेरिका के बॉक्सन कॉलेज से चार करोड़ की स्कॉलरशिप मिली थी. कोरोना संकट के कारण वह जून में अमेरिका से लौटी थी. उसे 20 अगस्त को लौटना था. बताया जा रहा है कि बाइक सवार कुछ मनचले पीछा कर रहे थे जिनसे बचने के कारण यह हादसा हुआ.

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जितेंद्र भाटी की बेटी सुदीक्षा भाटी अपने चाचा के साथ स्कूटी से सिकंदराबाद जा रही थी. औरंगाबाद गांव के पास मोटर साइकिल ने स्कूटी में टक्कर मार दी. इस हादसे में सुदीक्षा की मौके पर मौत हो गई. सुदीक्षा की मौत से पूरे इलाके में मामत छाया हुआ है.

पिता के मुताबिक सुदीक्षा भाटी ने एचसीएल फाउंडेशन के स्कूल विद्या ज्ञान से पढ़ाई की थी. वर्ष 2018 में सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में 98 फीसदी अंक प्राप्त जिले का नाम रोशन किया था. टॉप करने के कारण सुदीक्षा को अमेरिका के बॉक्सन कॉलेज में दाखिला मिल गया था. इसके बाद उसे 3.83 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी गई थी. जून में वह कोविड-19 के कारण गांव लौट आई थी. 20 अगस्त को उसे अमेरिका जाना था.

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सुदीक्षा के पिता ने बताया कि वर्ष-2018 की सीबीएसई परीक्षा में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 98 फीसदी अंक हासिल कर जिले में टॉप किया था. वह सिकंदराबाद के दूल्हेरा गांव के विद्या ज्ञान स्कूल की छात्रा थी. सुदीक्षा का चयन वर्ष-2011 में विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी स्कूल में हुआ था. वहीं से उसकी जिंदगी में बदलाव आया. सुदीक्षा बॉक्सन कॉलेज से इंटरशिप में ग्रेजुएशन कर रही थी. वह बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थी. स्कूल की तरफ से स्कॉलरशिप के लिए अमेरिका में आवेदन किया था. अगस्त वर्ष-2018 में सुदीक्षा अमेरिका चली गई थी.

सुदीक्षा ने, पूत के पांव पालने में, वाली कहावत को चरितार्थ किया था. उसके पिता चाय बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं. बेहद गरीब परिवार से होने के कारण सुदीक्षा के सामने तमाम दुश्वारियां थीं. बावजूद इसके उसका हौसला हमेशा ही उड़ान भरता रहा.