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बाबरी प्रकरण: कोर्ट में लिखित बहस दाखिल करने का आज अंतिम दिन

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विशेष अदालत को 30 सितंबर तक इस मामले में अपना फैसला सुनाना है. लिहाजा कोर्ट ने बचाव दल को बहस दाखिल करने के लिए 27 अगस्त अंतिम अवसर दिया था.

News Nation Bureau
| Edited By :
27 Aug 2020, 08:33:54 AM (IST)

लखनऊ:

1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लिखित बहस दाखिल करने का आज अंतिम दिन है. लखनऊ स्थित विशेष सीबीआई अदालत पहले ही बचाव पक्ष को अपनी लिखित बहस दाखिल करने का और वक़्त देने से इनकार कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विशेष अदालत को 30 सितंबर तक इस मामले में अपना फैसला सुनाना है. लिहाजा कोर्ट ने बचाव दल को बहस दाखिल करने के लिए 27 अगस्त अंतिम अवसर दिया था.

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मामले में 351 गवाहों के साथ 600 से अधिक सुबूत, जिसके अवलोकन के बाद निर्णय लिखने में काफी समय की जरूरत होगी. कोर्ट में बचाव पक्ष ने लिखित बहस दाखिल करने के लिए 31 अगस्त तक समय दिए जाने के लिए अर्जी दायर की थी. इसमें कहा गया था कि 32 आरोपियों के वकील लिखित बहस तैयार कर रहे हैं जिसमें वक्त लग रहा है. मगर कोर्ट ने और वक्त देने से इनकार कर दिया था.

उल्लेखनीय है कि मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 32 लोग आरोपी हैं. मस्जिद गिराने के मामले में भाजपा नेता विनय कटियार और साध्वी रितंभरा भी आरोपी हैं. मामले में आरोपी विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं-गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का मुकदमे के दौरान निधन हो गया. मस्जिद गिराए जाने की घटना के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. लखनऊ स्थित विशेष सीबीआई अदालत मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत 32 आरोपियों के बयान दर्ज करने का काम पूरा कर चुकी है.

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ज्ञात हो कि कारसेवकों ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था, जिनका मानना था कि इस मस्जिद का निर्माण भगवान राम की जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर किया गया था. राम मंदिर आंदोलन के समय अग्रणी भूमिका में रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी गवाही दी थी. अदालत कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे दिग्गज भाजपा नेताओं के बयान भी दर्ज कर चुकी है. ये दोनों अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे. आडवाणी का बयान पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए भूमि पूजन से कुछ दिन पहले ही दर्ज किया गया था.

उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल ऐतिहासिक निर्णय में दशकों पुराने विवाद का समाधान करते हुए अयोध्या में संबंधित भूमि पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ का प्लॉट आवंटित किए जाने का भी आदेश दिया था.