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सिख दंगे के आरोपी कमलनाथ ने दिल्ली हिंसा और मोदी सरकार को लेकर कही ये बड़ी बात

सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा कि अपने देश की संस्कृति दिल जोड़ने की संस्कृति है. अगर ऐसे में कोई नीति बने जिससे यह भंग हो तो इसपर सोचना चाहिए.

News Nation Bureau
| Edited By :
28 Feb 2020, 07:11:11 PM (IST)

नई दिल्ली:

दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. अब तक इस हिंसा में 42 लोगों की जान चली गई है. जबकि दो सौ से ज्यादा लोग जख्मी हैं. दिल्ली दंगा पर अब सियासत गर्मा गई है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी के तहत मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा कि अपने देश की संस्कृति दिल जोड़ने की संस्कृति है. अगर ऐसे में कोई नीति बने जिससे यह भंग हो तो इसपर सोचना चाहिए.

पत्रकारों से बीतचीत में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा, 'बड़ी दुख की बात है ऐसा वातावरण बना जिससे दंगे हुए. दंगे की तो सब निंदा करते हैं. अपने देश की संस्कृति दिल जोड़ने की संस्कृति है. अगर कोई ऐसा वातावरण या नीति बने जिससे ये भंग हो तो इस देश के नागरिक को ये बात समझनी चाहिए कि इसका क्या कारण था?'

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सीएए कानून बनाने की क्या जरूरत थी

उन्होंने आगे कहा, 'सीएए में क्या है, वह बात छोड़िए लेकिन मैं यह प्रश्न पूछना चाहता हूं कि क्या कोई युद्ध चल रहा है या देश में बड़ी संख्या में शरणार्थी आ रहे हैं जो केंद्र सरकार ने सीएए का चक्कर चला दिया. यह कानून बनाने की आखिर क्या आवश्यकता थी. ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी थी. इस कानून का आखिर क्या लक्ष्य है.'

नागरिकता को लेकर जान-बूझकर भ्रम फैलाया

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने कहा, 'देश में जनसंख्या को लेकर सर्वेक्षण तो होते ही रहते हैं लेकिन नागरिकता को लेकर जान-बूझकर भ्रम फैलाया गया ताकि लोग सोचें कि एक नागरिक के रूप में वे असुरक्षित हैं.'

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पीएम मोदी ने कमलनाथ को लिया था निशाने पर

बता दें कि मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ खुद 1984 सिख दंगे के आरोपी है. बीजेपी आए दिन इसे लेकर कांग्रेस पर हमला बोलती रहती है. पीएम मोदी ने फरवरी 2020 में कमलनाथ का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर वार किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों के नाम पर रोटियां सेंकती है. क्‍या कांग्रेस को सिख विरोधी दंगा याद है, क्‍या वह अल्‍पसंख्‍यक नहीं थे. जब सिख भाइयों के गले में टायर बांधकर जला दिया गया था. दंगे के आरोपियों को जेल नहीं भेजा. इतना ही नहीं जिन पर सिख दंगों को भड़काने का आरोप था, उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया. क्या अल्पसंख्यकों के लिए दो तराजू होंगे?