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औरंगजेब की हत्‍या का बदला लेने के लिए सेना में भर्ती हुए 2 भाई, अब आतंकियों की खैर नहीं

दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा राइफलमैन औरंगजेब का अपहरण और हत्या कर दिये जाने के 13 महीने बाद उनके दो भाई राष्ट्र की सेवा करने और उनकी मौत का बदला लेने के लिए थल सेना में भर्ती हुए हैं.

BHASHA
| Edited By :
23 Jul 2019, 07:19:31 PM (IST)

राजौरी(जम्मू कश्मी:

दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा राइफलमैन औरंगजेब का अपहरण और हत्या कर दिये जाने के 13 महीने बाद उनके दो भाई राष्ट्र की सेवा करने और उनकी मौत का बदला लेने के लिए थल सेना में भर्ती हुए हैं.  एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में सोमवार को आतंकवाद रोधी बल ‘रोमियो’ के मुख्यालय में ‘पासिंग आउट परेड’ में प्रादेशिक सेना की 156 वीं इंफैंट्री बलाटियन में भर्ती हुए.

वे दोनों कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ में शामिल होने और देश के दुश्मनों से लड़ने के इच्छुक हैं.  उनके पिता मोहम्मद हनीफ भी थल सेना में सेवा दे चुके हैं.  उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने बेटों को भारतीय थल सेना में सेवा देने और उनके भाई औरंगजेब की कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा की गई हत्या का बदला लेने तथा आतंकवाद का खात्मा सुनिश्चित करने के लिए भेजा है. ’’

हनीफ ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ इनकी लड़ाई उनके शहीद बेटे को श्रद्धांजलि होगी. ’’ गौरतलब है कि औरंगजेब को पुलवामा से अगवा कर लिया गया था और बाद में 14 जून 2018 को आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी. उस वक्त वह अपने परिवार के साथ ईद मनाने के लिए पुंछ स्थित अपने घर लौट रहे थे. वह थल सेना की 44 वीं राष्ट्रीय राइफल में नियुक्त थे.

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दोनों भाइयों ने कहा, ‘‘उनकी हत्या के बाद, हम थल सेना में शामिल होने के लिए दृढ़ हैं. ’’ शब्बीर ने कहा, ‘‘हम थल सेना में शामिल हुए हैं. हमारा लक्ष्य भाई का बदला लेना है. यह हमारे पिता का संकल्प और हमें दिया गया निर्देश है. हम इसे पूरा करेंगे. ’’ थल सेना प्रवक्ता ने बताया कि इन दोनों को सात मार्च को पुंछ जिले में चलाये गए एक भर्ती अभियान में चयनित किया गया था. उन्हें पंजाब रेजीमेंट में प्रशिक्षण मिलेगा.

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प्रवक्ता ने बताया कि थल सेना ने सोमवार को राजौरी जिले में भर्ती परेड कराई.  सीमावर्ती पुंछ जिले के सुरनकोट स्थित सलानी बस्ती के रहने वाले उनके बड़े भाई मोहम्मद कासिम भी 12 साल पहले थल सेना में भर्ती हुए थे. उनके दो छोटे भाई  आसिम और सोहैल अभी पढाई कर रहे हैं. वे भी अपने भाइयों के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं.