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यहां-वहां रेस है कोरोना वैक्सीन ढूंढ़ने की, जानें कौन कहां है होड़ में

दुनिया की कई कम्पनियां कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने में जुट गयी हैं. कई कंपनियों को उसमे कुछ हद तक सफलता भी मिली हैं, पर अभी तक किसी भी कंपनी ने पूरी तरह से कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा नहीं किया है.

News Nation Bureau
| Edited By :
03 Jul 2020, 12:38:03 PM (IST)

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के फैलने के बाद से दुनिया में उससे निजात पाने के हर स्तर पर प्रयास हो रहें हैं. इसी क्रम में दुनिया की कई कम्पनियां कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने में जुट गयी हैं. कई कंपनियों को उसमे कुछ हद तक सफलता भी मिली हैं, पर अभी तक किसी भी कंपनी ने पूरी तरह से कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा नहीं किया है. इस समय दुनिया में कई तरह की वैक्सीन पर काम चल रहा है.

जैनेटिक्स वैक्सीन (Genetic Vaccines)- इस वैक्सीन में वायरस के अपने जीन पर ही प्रयोग किए जाते हैं, ताकि उससे ख़िलाफ़ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया जा सके.
वायरल वेक्टर वैक्सीन (Viral Vector Vaccines)- इसमें एक ज़िंदा वायरस का इस्तेमाल किया जाता है जो अपने डीएनए के साथ मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है. उस वायरस का डीएनए एंटीजन युक्त होता है. जब ये एंटीजन युक्त डीएनए पीड़ित मानव कोशिकाओं में पहुंचता है तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय हो जाती है.
प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन (Protein Based Vaccines)- इस तरह की वैक्सीन में कोरोना वायरस प्रोटीन के अंश का प्रयोग किया जा रहा है ताकि जब ये शरीर में जाए तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता उत्प्रेरित हो सके.
होल वायरस वैक्सीन (Whole-Virus Vaccine)- इस तरह की वैक्सीन में कमज़ोर या निष्क्रिय कोरोना वायरस के साथ प्रयोग किए जा रहे हैं ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली इस वायरस से लड़ने की क्षमता हासिल कर सके.
रीपर्पस्ड वैक्सीन (Repurposed Vaccines)- कई ऐसी वैक्सीन हैं जो दूसरी बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हुई हैं. इन वैक्सीन का कोविड-19 पर प्रयोग कर ये देखा जा रहा है कि मुमकिन है ये वैक्सीन कोरोना को भी हराने में कामयाब हो पाएं.

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वैक्सीन की रेस में ये चल रही हैं आगे
Moderna Inc. - अमेरिका की ये कंपनी ट्रायल की एडवांस स्टेज में है. ये 'वार्प स्पीड' फ़ेज़ में है यानि फ़ेडरल फ़ंडिंग के ज़रिए ये जल्द से जल्द कोरोना की वैक्सीन के निर्माण की तरफ़ बढ़ रही है. ये कंपनी जैनेटिक्स वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
BioNTech/Pfizer/Fosun PHARMA- जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक ने अमेरिकी कंपनी फ़ाइज़र और चीनी दवा निर्माता फ़ोसुन फ़ार्मा के साथ मिल कर इस वैक्सीन पर काम शुरू किया है, जो काफ़ी आगे बढ़ चुका है. फ़ाइज़र के सीईओ के मुताबिक उन्हें पूरी उम्मीद है कि अक्टूबर में उनकी वैक्सीन जनता के बीच होगी. ये कंपनी जैनेटिक्स वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
Imperial College London/MORNINGSIDE- इंपीरियल कॉलेज लंदन ने मॉर्निंगसाइड वेन्चर्स के साथ RNA वैक्सीन पर काम शुरु किया जो बीते 15 जून से ट्रायल के पहले और दूसरे स्टेज पर है. ऐसे ही अमेरिका की INOVIO, जर्मनी की CUREVAC, कोरिया की Genexine, फ्रांस की SANOFI Translate Bio जैसी कुछ कंपनियां हैं जो ट्रायल के पहले या दूसरे स्टेज में चल रही हैं. ये कंपनियां जेनेटिक वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
AstraZeneca/UNIVERSITY OF OXFORD- ब्रिटिश-स्वीडिश कपंनी आस्ट्राज़ेनेका और यूनीवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड मिलकर इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. उनका ये प्रयोग चिंपाज़ी के एडीनोवायरस पर आधारित है और फ़ेज़ टू और थ्री में चल रहा है. इसे अमेरिका के ऑपरेशन वॉर्प स्पीड का सहयोग मिल चुका है और बहुत मुमकिन है कि ये अक्टूबर तक कोरोना को हराने की वैक्सीन बना ले. ये कम्पनी वायरल वेक्टर वैक्सीन पर काम कर रहीं है.

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CanSinoBio- ये चीनी कंपनी भी एडीनोवायरस की मदद से इस वैक्सीन पर काम कर रही है. इसे चीन की एकेडमी ऑफ़ मिलिट्री साइंस की पूरी मदद हासिल है. कंपनी के मुताबिक इसके ट्रायल का फ़ेज़-वन अच्छे नतीजों के साथ अब फ़ेज़-टू में प्रवेश कर चुका है और इसने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर अच्छा असर दिखाया है. मुमकिन है कि इस वैक्सीन का प्रयोग चीन के सैनिकों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हो. ये कंपनी वायरल वेक्टर वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
The Gamaleya Research Institute- रूस की मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ के अंतर्गत काम कर रही ये कंपनी ट्रायल के फ़ेज़-वन में है. कंपनी दो तरह के एडीनोवायरस Ad5 और Ad26 के साथ कोरोना वायरस के जीन पर प्रयोग कर रही है. ये कंपनी वायरल वेक्टर वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
Johnson & Johnson -बोस्टन के Beth Israel Deaconess Medical Center, Ad26 एडीनोवायरस पर काम कर रहा है. जॉनसन एंड जॉनसन को ऑपरेशन वार्प स्पीड का समर्थन मिल चुका है. कंपनी वैक्सीन का मानव परीक्षण सितंबर में शुरू करने वाली थी, लेकिन उसे अब जुलाई के दूसरे पखवाड़े में ही शुरू करने की तैयारी में है. उन्होंने कहा कि कंपनी इस काम में तेजी लाने के लिए एक साथ दो मोर्चे पर काम कर रही है, जिसमें मौजूदा निर्माण क्षमता का विस्तार और नई इकाई लगाना शामिल है. कंपनी के मुख्य वैज्ञानिक स्टोफेल्स ने कहा, हम जोखिम पर वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने की योजना बना रहे हैं. इस आपात महामारी को देखते हुए हम आम जनता को किफायती दर पर दवा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ये कम्पनी वायरल वेक्टर वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
MERCK iavi - इसी तरह अमेरिकी कंपनी MERCK के ट्रायल भी अच्छे नतीजों के ऑपरेशन वार्प स्पीड में अपनी जगह बना चुके हैं. इसी कंपनी ने इबोला वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की थी.

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VAXART- ऑपरेशन वॉर्प स्पीड की फंडिंग के साथ ये कंपनी एक टेबलेट पर काम कर रही है. एडीनोवायरस युक्त ये टेबलेट शरीर में कोरोना वायरस जीन छोड़ेगी जिससे शरीर प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर पाएगा. ये कम्पनी वायरल वेक्टर वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
NOVAVAX- मैरीलैंड स्थित ये कंपनी फ़ेज़-टू में है और ये कोरोना वायरस प्रोटीन के अति सूक्ष्म कणों के साथ वैक्सीन बनाने में जुटी है. इस वैक्सीन को ‘कोएलिशन फ़ॉर एपीडेमिक प्रिपेयरडनेस इनोवेशन्स’ से 384 मिलियन डॉलर की फ़ंडिंग मिल चुकी है. ये कंपनी प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
ब्रिटेन की Dynavax और अमेरिका की GSK संयुक्त रूप से वैक्सीन को बनाने में जुटे हैं. इसी तरह Baylor College of Medicine, Texas Children Hospital, University of Pitsburgh, Australia की THE UNIVERSITY OF QUEENSLAND भी तेज़ी से कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं.
WUHAN INSTITUTE OF BIOLOGICAL PRODUCTS CO. LTD - काफ़ी पहले टेस्टिंग शुरू कर चुकी चीनी कंपनी Sinopharm के मुताबिक वो ट्रायल के थर्ड फ़ेज़ में है. संयुक्त अरब अमीरात के सहयोग से काम रही ये कंपनी जल्द ही गल्फ़ में इस दवा की क्षमता और उपयोगिता को टेस्ट करेगी. ये कम्पनी होल वायरस वैक्सीन पर काम कर रहीं है.
INSTITUTE OF MEDICAL BIOLOGY- पोलियो और हैपेटाइटिस ए की वैक्सीन विकसित करने वाली चायनीज़ एकेडमी ऑफ़ मेडिकल साइंसेस से जुड़ी इस संस्था के रीसर्चर ट्रायल के फ़ेज़ टू में हैं.