आतंक के साये हजारों लोग करते हैं अमरनाथ यात्रा, जानें इसका महत्व
अमरनाथ की यात्रा कर लौट रहे यात्रियों और पुलिस दल पर आंतकियों ने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के बटेंगू में हमला कर दिया। इस हमले में करीब 7 लोगों की मौत हो गई, वहीं 15 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहें है।
आतंकी साये में होने वाली इस अमरनाथ यात्रा में हर साल हजारों की संख्या में लोग जाते हैं। अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव साक्षात श्री अमरनाथ गुफा में विराजमान रहते हैं।
अमरनाथ गुफा के अंदर बनने वाला हिम शिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक सर्वत्र कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। मान्यता यह भी है कि गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुंड है। श्री अमरनाथ गुफा में स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां भगवती सती का कंठ भाग गिरा था।
अमरनाथ गुफा श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से यह क्षेत्र 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बाबा अमरनाथ की गुफा 150 फीट ऊंची और करीब 90 फीट लंबी है।
अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां पहुचंने के दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से जाता है। दर्शन के बाद तीर्थयात्रियों को बालटाल शिविर तक लौटने में सिर्फ एक दिन का समय लगता है। हालांकि, पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक एक तरफ की यात्रा में चार दिन लगते हैं।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में 40 दिवसीय हिमालय की पवित्र तीर्थस्थल यात्रा 7 अगस्त को रक्षा बंधन त्यौहार के साथ श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त हो जाएगी।
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