तस्वीरों में देखें, गुलजार साहब के शब्दों की जादूगरी
अद्भुत कल्पना और शब्दों की जादूगरी गुलजार ही कर सकते हैं। जानेमाने शायर गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है और 18 अगस्त को इनका जन्मदिन है। 20 बार फिल्मफेयर तो 5 राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके गुलजार साहब के शब्दों की जादूगरी कुछ ऐसी है:
गुलजार ने 1963 में आई फिल्म बन्दिनी का गाना 'मोरा गोरा अंग लइ ले, मोहे श्याम रंग दई दे' से अपने गीत के सफर की शुरुआत की थी।
गुलजार ने ‘कोई होता जिसको अपना’, ‘मुसाफिर हूं यारों’, ‘इस मोड़ से जाते है', 'हमने देखी है इन आंखों की महकती ख़ुशबू’, और ‘नाम ग़ुम जायेगा’ समेत तमाम यादगार गानें गाए हैं।
1971 में गुलज़ार ने फिल्म 'मेरे अपने' से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा।
पहली फिल्म से गुलज़ार ने निर्देशक के तौर पर असरदार उपस्थिति दर्ज कराई।
गुलजार 20 बार फिल्मफेयर तो पांच राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं।
गुलजार को 2010 में स्लमडॉग मिलेनेयर के गाने 'जय हो' के लिए ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
आपको यह बात नहीं पता होगी कि गुलजार अपने कॉलेज के दिनों से ही सफेद कपड़े पहन रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुलजार उर्दू में लिखना पसंद करते हैं।
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