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ये हरियाणा के रण में उतरे 10 दिग्‍गज, जानें इनके सियासी सफर और इस चुनाव में किससे है मुकाबला

News Nation Bureau New Delhi 16 October 2019, 06:24:20 PM
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हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2019) में वैसे तो एक हजार से ज्‍यादा उम्‍मीदवार मैदान में हैं.हरियाणा विधानसभा (Haryana Election 2019) चुनाव में इस बार भी विरासत सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2019) में वैसे तो एक हजार से ज्‍यादा उम्‍मीदवार मैदान में हैं.हरियाणा विधानसभा (Haryana Election 2019) चुनाव में इस बार भी विरासत सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. राज्य में एक समय तीन लाल -देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल- का शासन था और राज्य अब इस 90 विधानसभा सीटों के चुनाव में इन वंशों की तीसरी या चौथी पीढ़ी को चुनाव लड़ते देखेगा. राज्य में 21 अक्टूबर को मतदान होना है. 'लाल' वंश के 10 सदस्य इस बार चुनाव मैदान में हैं.आइए जानें टॉप 10 वीआईपी चेहरों के बारे में..

रणदीप सुरजेवाला के लिए आसान नहीं कैथल का बैटल

हरियाणा की सबसे हाईप्रोफाइल विधानसभा सीटों में से एक है कैथल सीट पर 14 साल से सुरजेवाला परिवार का प्रभुत्व रहा है. साल 2005 में कैथल से कांग्रेस के टिकट पर शमशेर सिंह सुरजेवाला चुनाव जीते. इसके बाद उनकी सीट की विरासत को उनके बेटे रणदीप सुरजेवाला ने संभाली. लेकिन लेकिन रणदीप सुरजेवाला के लिए इस बार कैथल का रण आसान नहीं होगा.  रणदीप सिंह कैथल से विधायक होने के बावजूद जींद विधानसभा का उपचुनाव लड़ने चले गए थे. जींद में सुरजेवाला को करारी शिकस्त मिली और बड़ी मुश्किल से ज़मानत बची. 

करनाल को मनोहर लाल खट्टर ने बनाया हरियाणा की सबसे हाई प्रोफाइल सीट

करनाल विधानसभा सीट हरियाणा की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर  2014 विधानसभा चुनाव में  82 हजार 485 वोट से जीते थे. इस बार उनका मुकाबला जेजेपी के तेजबहादुर यादव और कांग्रेस के त्रिलोचन सिंह से है. तेजबहादुर यादव बीएसफ से बर्खाश्‍त होने के बाद वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ पर्चा भरा था लेकिन वो खारिज हो गया.

टिक-टॉक स्‍टार सोनाली फोगाट पर पूरे हरियाणा की नजर

आदमपुर से सोनाली फोगाट पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. उन्‍होंने बताया कि वह अभिनय की वजह से राजनीति में आईं. सोनाली अभिनेत्री भी हैं और उन्होंने छोटे पर्दे पर कई धारावाहिकों में भी काम किया है.वह हरियाणा के फतेहाबाद की रहने वाली हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस उम्‍मीदवार कुलदीप विश्‍नोई से है.

आदमपुर से पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए ताल ठोंक रहे कुलदीप विश्नोई

दो बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रहे भजनलाल के परिवार में ही हिसार जिले के आदमपुर सीट रही. उनके परिवार को 1968 के बाद से कभी हार सा सामना नहीं करना पड़ा. अब इनके खिलाफ टिक-टॉक स्टार सोनाली फोगाट को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. विधानसभा चुनाव में अपना पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए भजनलाल के पुत्र कुलदीप विश्नोई कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं.

टोहाना से दो बार करारी हार झेल चुके हैं सुभाष बराला

बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष सुभाष बराला टोहाना विधानसभा से चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. बराला वर्ष 2004 व 2009 में टोहाना से दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. इस बार भी बीजेपी ने एक बार फिर उनपर दांव खेला है. यहां उनका मुकाबला जजपा के देवेंद्र सिंह बबली, इनेलो के राजपाल सैनी और कांग्रेस के परमवीर सिंह से है.

नारनौंद: बीजेपी का सबसे बड़ा जाट चेहरा कैप्टन अभिमन्यु

कैप्टन अभिमन्यु बीजेपी का सबसे बड़ा जाट चेहरा हैं. पिछली बार वह इसी सीट से चुनाव जीते थे. हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान जजपा ने नारनौंद में जाट वोटों में सेंध लगाई थी. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के बलजीत सिंह, इनेलो के जस्‍सी पेटवार और जेजेपी के राकुमार गौतम से है.

अंबाला कैंट: अनिल विज नया रिकॉर्ड बनाएंगे या फिर...

हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज एक बार फिर अंबाला कैंट से चुनाव मैदान में हैं. हरियाणा विधानसभा के अब तक हुए कुल 12 चुनाव में से यहां पर कांग्रेस केवल पांच बार जीत हासिल कर सकी है.भाजपा ने विज को इस सीट से तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। उनके खिलाफ कांग्रेस की वेनू सिंगला मैदान में हैं. जजपा और इनेलो प्रत्याशी ने अपना-अपना नामांकन वापस ले लिया. ऐसे में यहां मुख्य तौर पर मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय के बीच हो गया है.

उचाना: दुष्यंत के सामने इस मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती

उचाना से यहां उनका मुकाबला भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह की पत्नी और मौजूदा विधायक प्रेमलता से है. 26 साल की उम्र में देश के पहले युवा सांसद के अलावा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दुष्‍यंत का नाम भारत के सबसे युवा सांसद के तौर पर दर्ज है. यह सीट वीरेंद्र सिंह की पैतृक सीट है, इसी हल्के में उनका गांव है.  दुष्यंत के सामने इस मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती है.

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