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कोरोना संकट में गई जॉब तो स्कूटर को बना दिया ढाबा, पढ़िए बलबीर का संघर्ष

मजबूरी अविष्कार की जननी होती है और यही बलबीर के साथ भी हुआ किराए पर दुकान लेने के पैसे नहीं थे तो बलबीर ने स्कूटी पर ही ढाबा शुरू कर लिया. आज  120 लोगों का खाना भी बलबीर 1 से 4 बजे के बीच मे ही बेच लेते है. खाने के दाम भी 20 रुपये से 50 रुपये रखे है

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Oct 2020, 07:52:34 AM (IST)

नई दिल्ली:

देशभर में कोरोना काल लोगों पर बहुत भारी पड़ा है. बहुत लोग बेरोजगार भी हो गए. इन्ही हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा में अवसर तलाशते की अपील भी थी. आपदा में अवसर कैसे तलाशते है ये दिल्ली के बलबीर सिंह ने करके दिखाया है. बलबीर गुड़गांव के एक होटल में गाड़ी चलाते थे लॉक डाउन हुआ तो बेरोजगार हो गए, लेकिन बलबीर इससे हताश नही हुए और जैसे ही अनलॉक शुरू हुआ. बलबीर ने एक चलता फिरता ढाबा खोल लिया.

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मजबूरी अविष्कार की जननी होती है और यही बलबीर के साथ भी हुआ किराए पर दुकान लेने के पैसे नहीं थे तो बलबीर ने स्कूटी पर ही ढाबा शुरू कर लिया. शुरुवात में 20 लोगों के लिए खाना बनाया तो सफ़लता हाथ नहीं लगी, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी और आज  120 लोगों का खाना भी बलबीर 1 से 4 बजे के बीच मे ही बेच लेते है. खाने के दाम भी 20 रुपये से 50 रुपये रखे गए है.

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बलबीर खुद तो इस काम मे जुटे ही है, लेकिन जब दोस्त भी बेरोजगार हुआ तो फ़िर इन्होंने हरविंदर नाम के अपने मित्र को भी अपने साथ ढाबे पर ही काम दे दिया. अब दोनो रोज़ाना कड़ी चावल राजमा और अलग अलग चीज़े बेच कर अपना घर चला रहे है. साथ ही कहते है की अब इसी काम को आगे बढ़ाएंगे वापस नौकरी नहीं करेंगे.

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स्कूटी पर इस चलते फिरते ढाबे के चर्चे सोशल मीडिया पर भी है औऱ लंच टाइम में अब यहां खूब भीड़ जुटती है. वहीं, लोगों का कहना है बलबीर के खाने का स्वाद और प्यार से  बोलने का उनका अंदाज़ उन्हें यहां खींच लाता है. कोरोना के दौर में नकारात्मक खबरों के बीच ऐसी सकारात्मक खबर लोगों को हिम्मत देती है और आपदा को अवसर में बदलने वाले बलबीर सिंह जैसे लोग मुश्किल हालात में भी हिम्मत ना हारने की प्रेरणा देते हैं.