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एनजीटी ने केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश में 'अवैध डिस्टिलरी' पर मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश में पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीसो) से अनुमति लिए बिना सुगर मिलों के निर्माण, भंडारण और खतरनाक रासायनिक का आयात पर अपना रुख साफ करने को कहा है।

News Nation Bureau
| Edited By :
11 Dec 2016, 04:00:58 PM (IST)

नई दिल्ली:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश में पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीसो) से अनुमति लिए बिना चीनी मिलों के निर्माण, भंडारण और खतरनाक रासायनिक का आयात पर अपना रुख साफ करने को कहा है। यह उद्योग अवैध रूप से शराब और एथेनॉल का उत्पादन कर करती है।

एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने पेसो और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मंत्रालयों को आदेश दिया है कि वो बिना लाइसेंस चल रहे औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जा सकता है, इस पर विचार करे। इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

NGT का यह आदेश एक NGO दायर ​​याचिका पर आया है।

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NGO ने अपनी शिकायत में उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे का उल्लेख किया है और दलील दी है कि 35 डिस्टिलरी में केवल 2 ने लाइसेंस के लिए अप्लाई किया जबकि दूसरे सभी इथेनॉल का अवैध रूप से निर्माण कर रहे हैं।

क्यों ज़रूरी है लाइसेंस लेना

एथेनॉल के उत्पादन, व भंडारण के लिए हानिकारक रसायनों के परिवहन रूल 1989 और रासायानिक दुर्घटना नियम 1996 के अंतर्गत अनुमति अनिवार्य है। यह नियम एन्वायरमेंटल एक्ट 1986 के तहत बनाए गए थे।

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एथेनॉल में 99.5 प्रतिशत या उससे ज्यादा एल्कोहल की मात्रा होती है। इतनी भारी मात्रा में अल्कोहल होने के कारण ही ये अत्यधिक ज्वलनशील होता है। अगर इसके रख-रखाव में जरा सी भी अनियमितता बरती जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है। केंद्रीय पेट्रोलियम व विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) ज्वलनशील व विस्फोटक पदार्थों को बनाने, रखने और ट्रांसपोर्ट का लाइसेंस देता है।