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निर्भया को मिला इंसाफ, चारों गुनाहगारों की मौत की सजा बरकरार, मां ने कहा, आज मुझे चैन की नींद आएगी

पांच सालों के लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मामले को क्रूरतम बताते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बहाल कर दिया है, जिसमें चारों आरोपियों की मौत की सजा को बहाल रखा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में खुशी की लहर है।

News Nation Bureau
| Edited By :
06 May 2017, 09:37:11 AM (IST)

highlights

  • निर्भया रेप केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में खुशी की लहर
  • निर्भया बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है

New Delhi:

पांच सालों के लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मामले को 'क्रूरतम' बताते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बहाल कर दिया है, जिसमें चारों आरोपियों की मौत की सजा को बहाल रखा था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में खुशी की लहर है। कोर्ट के फैसले से पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों से सभी दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग उठ रही थी। वहीं अदालत के फैसले के बाद निर्भया की मां ने संतोष जताते हुए कहा कि 'आज उन्हें चैन की नींद आएगी।'

दिसंबर 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार मामले में निचली अदालत ने छह में से पांच आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी जबकि एक अन्य आरोपी को नाबालिग होने की वजह से 3 साल के लिए सुधार गृह भेज दिया गया था। इनमें से एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

बाकी बचे चारों आरोपियों ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने भी उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

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जस्टिस दीपक मिश्रा, आर बानुमति और अशोक भूषण की पीठ ने मामले की सुनवाई की। फैसला सुनाते हुए मामले की क्रूरता को देखते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'ऐसा लगता है कि यह किसी दूसरी दुनिया की घटना है।'

बेंच ने कहा, 'घटना और जख्म की गंभीरता को देखते हुए दोषियों को मिली फांसी की सजा बहाल की जाती है।' जस्टिस बानुमति ने कहा सभी बच्चों को इस तरह से शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वह महिलाओं को सम्मान दे सकें।

बानुमति ने कहा कि धनंजय चटर्जी मामले को छोड़कर हत्या और बलात्कार के किसी मामले में दोषियों को फांसी की सजा नहीं दी गई। इसके साथ ही उन्होंने समाज में लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपायों को शुरू किए जाने का निर्देश दिया।

मामले की पैरवी कर रहे वकील बी एल कपूर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामला था जिसने समाज की सामूहिक चेतना को झिंझोर डाला था। फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि वह और उनका पूरा परिवार इससे बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, 'अब मैं पूरी तरह खुश हूं और फैसले को लेकर खुश हूं।'

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न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर भानुमति की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ गंभीर परिस्थितियां उनके बचाव में गिनाई गई परिस्थितियों पर बहुत भारी हैं।

पीठ ने कहा कि यह मामला निश्चित रूप से जघन्यतम श्रेणी का है। पीठ ने कहा, 'जिस तरह के मामले में फांसी आवश्यक होती है, यह मामला बिल्कुल वैसा ही है।'

चारों को 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म करने और बेरहमी के साथ उसकी पिटाई करने के आरोपों में दोषी ठहराया गया है। घटना के कुछ दिनों बाद छात्रा की मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।

इस मामले में छह आरोपी थे, जिनमें से पांचवें आरोपी ने जेल में आत्महत्या कर ली थी और एक आरोपी नाबालिग था, जिसे छह महीने सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया है।

न्यायाधीशों ने कहा कि गंभीर चोटों और दोषियों द्वारा अंजाम दिए गए अपराध की गंभीर प्रकृति को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा बरकरार रखी जा रही है।

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