राफेल कैसे बनेगा भारत के लिए 'गेमचेंजर', जानें बड़ी बातें
ताकत के मामले में राफेल को भारत को बाहुबली कहा जा रहा है. राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ान स्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं.
नई दिल्ली:
राफेल (Rafale) विमान आज औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाएंगे. 5 राफेल विमानों की पहली खेप 29 जुलाई को भारत पहुंची थी. आज अंबाला एयरबेस पर आयोजित समारोह में इन्हें वायुसेना में शामिल किया जाएगा. इस मौके पर के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ले मौजूद रहेंगी. भारत को फ्रांस से कुल 36 राफेल विमान मिलने हैं. अगले डेढ़ साल में यह ये विमान चरणबद्ध तरीके से भारत को सौंपे जाएंगे.
राफेल की ताकत
ताकत के मामले में राफेल को भारत को बाहुबली कहा जा रहा है. राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ान स्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं. भारत को मिलने वाले राफेल में तीन तरह की मिसाइल लग सकती हैं. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प और हैमर मिसाइल से लैस होने के बाद राफेल दुश्मनों पर बिजली की तरह टूट पड़ेगा.
यह भी पढ़ेंः LAC के हालात बेहद तनावपूर्ण, चीन ने बढ़ाई सैनिकों और हथियारों की तैनाती
चीन के J-20 से बेहतर
राफेल के J-20 से काफी बेहतर माना जा रहा है. राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है. यह पाकिस्तान के F-16 या चीन के J-20 से बेहतर माना जा रहा है. भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें हैमर मिसाइल लगवाई है. हैमर (HAMMER) यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल है, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है. ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं.
2016 में हुई थी डील
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में तकरीबन 58 हजार करोड़ रुपये की डील फाइनल की थी. तब इस डील को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस डील के तहत भारत को फ्रांस से 36 राफेल विमान मिलने हैं. फरवरी 2021 तक जाकर राफेल विमान पूरी तरह से ऑपरेशनल होंगे. राफेल विमान को फ्रांस ने भारतीय वायुसेना के हिसाब से बनाया है, जिसमें भारत की जरूरतों का ध्यान रखा गया है. भारत को जो राफेल मिला है उसका टेल नंबर RB001 है. राफेल 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से बड़ा बदलाव लाएगा. इस विमान में 24500 किग्रा भार ढोने की क्षमता है. साथ ही विमान के जरिए एक साथ 125 राउंड गोलियां दागी जाती हैं जो किसी को कुछ सोचने से पहले उसका काम तमाम कर सकती हैं.
यह भी पढ़ेंः अंबाला के लिए राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री रवाना
बड़ी बातें
- राफेल लड़ाकू विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है, साथ ही ये दो इंजन वाला विमान है जिसको भारतीय वायुसेना को दरकार थी.
- राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल.
- राफेल लड़ाकू विमान स्टार्ट होते ही ऊंचाई तक पहुंचने में अन्य विमानों से काफी आगे है. राफेल का रेट ऑफ क्लाइंब 300 मीटर प्रति सेकंड है, जो चीन-पाकिस्तान के विमानों को भी मात देता है. यानी राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है.
- एक बार फ्यूल भरने पर यह लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है. ये हवा में ही फ्यूल को भर सकता है, जैसा इसने फ्रांस से भारत आते हुए किया भी था.
- राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है. राफेल में जितना तगड़ा रडार सिस्टम है, ये 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है.
- भारत को मिले राफेल लड़ाकू विमान करीब 24,500 किलोग्राम तक का भार उठाकर ले जाने के लिए सक्षम हैं, साथ ही 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की भी गारंटी है.