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अमित शाह ने लालकृष्ण आडवाणी से की मुलाकात, 30 मिनट तक हुई वार्ता

अब राम मंदिर के निर्माण पर भी आखिरकार फैसला आ ही गया है. आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर शिलान्यास पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों से किया जाएगा.

News Nation Bureau
| Edited By :
22 Jul 2020, 07:41:33 PM (IST)

नई दिल्‍ली:

कई सालों से अयोध्या का राम मंदिर देश का राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है. अब राम मंदिर के निर्माण पर भी आखिरकार फैसला आ ही गया है. आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर शिलान्यास पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों से किया जाएगा. राम मंदिर के शिलान्यास के पहले बाबरी विध्वंस मामले में सुनवाई को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे हैं. उनके साथ बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव भी हैं. 

आपको बता दें कि आगामी 5 अगस्त को अयोधया में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. आधारशिला के कार्यक्रम में पीएम मोदी सहित बहुत सीमित लोगों को बुलाया गया है.  ज़ाहिर सी बात है कि इस खास मौके पर हर रामभक्त अयोध्या आना चाहेगा. इस लिहाज से विश्व हिंदू परिषद आधारशिला के दिन को उत्सव की तरह मनाने की तैयारी में है. जिस दिन का रामभक्तों को इंतज़ार था, वो घड़ी बहुत करीब आ चुकी है. 5 अगस्त को पीएम अयोधया में आधारशिला रखेंगे तो स्वाभाविक है कि हर रामभक्त इस पल का गवाह बनना चाहेगा. वैसे में 5 अगस्त को विहिप उत्सव मनाने की तैयारी में है. भूमिपूजन वाले दिन विश्व हिंदू परिषद की योजना है कि इस दिन को देश भर में उत्सव के रूप में मनाया जाए.

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विश्व हिन्दू परिषद ने की जश्न की तैयारी
जिसकी तैयारी विहिप ने शुरू भी कर दी है. हालांकि कोरोना काल में उत्सव कैसा होगा. इसे लेकर विहिप के पदाधिकारी बैठक भी कर रहे हैं. 5 अगस्त के दिन अयोध्या वासियों के लिए बेहद खास और भावुक होगा. शिलान्यास के लिए हर अयोध्यावासी तैयारी में जुटे हैं. 5 अगस्त को भूमि पूजन के बाद शाम में अयोध्या के हर घर, मठ मन्दिरों में दीये जलाए जाएंगे. 500 सालों के इंतज़ार के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होने जा रहा है. ज़ाहिर सी बात है कि भूमि पूजन का दिन करोड़ों रामभक्तों के लिए काफी खास होने वाला है जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गयी हैं.

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30 सालों से लोगों के संघर्ष की भावनाएं जुड़ी हुई है
क्योंकि पहले से जो पत्थर तराशे गए हैं ऐसा बताया जा रहा है कि उसमें 30 सालों से लोगों के संघर्ष की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए उन सभी पत्थरों का पूरी तरह मंदिर के निर्माण के उपयोग में लाए जाने का निर्णय किया गया है. नागर शैली में ही पूरा मंदिर बनेगा. मंदिर के इस आकार को बढ़ाने से पहले बहुत सारे फैक्टर्स का विश्लेषण किया गया. क्योंकि 30 साल पहले जब यह मंदिर प्लान किया गया था तब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मंदिर में सालाना 5 लाख लोग विजिट करेंगे. लेकिन बदले हुए हालात और आज की परिस्थिति को देखते हुए यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संख्या कई गुना बढ़ जाए. इसलिए मंदिर के आकार को और विशाल रूप दिया जाये इसके लिए देश के सबसे ज्यादा विजिट किए जाने वाले कई टेंपल की महीनों तक स्टडी की गई है.