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बॉबी देओल ने कहा, मैं स्टारडम को भुना नहीं पाया

बॉबी देओल (Bobby Deol) ने 'गुप्त', 'सोल्जर' और 'अजनबी' जैसी फिल्मों से सफलता का स्वाद भी चखा

27 Oct 2019, 12:21:24 PM (IST)

नई दिल्ली:

साल 1995 में फिल्म 'बरसात' से बॉबी देओल (Bobby Deol) ने एक हीरो के तौर पर बॉलीवुड में अपनी धमाकेदार एंट्री की थी. इसके बाद, बॉबी देओल (Bobby Deol) ने 'गुप्त', 'सोल्जर' और 'अजनबी' जैसी फिल्मों से सफलता का स्वाद भी चखा और करियर में उन्होंने कई असफलताओं का भी सामना किया. बॉबी का कहना है कि उन्होंने वाकई में अपने स्टारडम को भुनाया नहीं.

बॉबी ने मीडिया को बताया, 'मैंने वाकई में अपने स्टारडम को नहीं भुनाया, मुझे लगता है कि हर किसी की किस्मत लिखी होती है, लेकिन अगर आप कड़ी मेहनत करते रहे तो आगे का रास्ता कभी बंद नहीं होता. एक अभिनेता के तौर पर आप हमेशा जिंदगी में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं.'बॉबी ने साल 2018 में चार साल के लंबे अंतराल के बाद 'रेस 3' से बड़े पर्दे पर अपनी वापसी की और अब उन्हें अपनी अगली पारी का इंतजार है. हाल ही में उनकी मल्टीस्टारर फिल्म इस दीवाली वीकेंड में रिलीज हुई है.

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उन्होंने कहा, 'मैं अपनी इस नई पारी की प्रतीक्षा कर रहा हूं, जहां मुझे ऐसे किरदारों को निभाने का मौका मिला जो मेरे कम्फर्ट जोन से बिल्कुल बाहर है. मुझे वाकई में अभी इस हैप्पी जोन में होने की खुशी है.' नब्बे के दशक में बॉबी ने अपनी फिल्मों से दर्शकों को अपना मुरीद बना लिया था, अपने अब तक के इस सफर को वह किस तरह से देखते हैं?

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इसके जवाब में बॉबी ने कहा, 'नब्बे के दशक और साल 2000 और उसके आसपास के सालों में यह सफर मेरे लिए काफी बेहतरीन रहा. अच्छा महसूस होता है कि मैं अभी भी काम कर रहा हूं और ऐसा अभिनेता बनने में सक्षम हूं जिसे अभी दिलचस्प किरदार निभाने का मौका मिलता है.' 'रेस 3' और 'हाउसफुल 4' दोनों ही फिल्में मल्टीस्टारर है. क्या उन्हें इस तरह की फिल्मों में कई कलाकारों के बीच अपनी प्रतिभा के छिप जाने का डर रहता है?

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इस पर बॉबी ने कहा, 'खुद के नजरअंदाज होने का यह सवाल कुछ ऐसा है जिसके बारे में मैं कभी सोचता ही नहीं हूं. मैं बस इतना कह सकता हूं कि इन फिल्मों की फ्रैंचाइजी का हिस्सा बनना काफी अच्छी बात है, क्योंकि इन फिल्मों को देखने कई लोग जाते हैं. मेरे लिए जिसने अपने करियर की शुरुआत फिर से की है, यह युवा पीढ़ी द्वारा देखे जाने का एक बेहतर अवसर है,जिसने मेरे काम को उतना नहीं देखा है जितना कि पुरानी पीढ़ी ने देखा है.'