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ताकते रह गए बैंक, 68,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन निगल गए ये लोग, RTI में हुआ खुलासा

आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने सूचना का अधिकार कानून के तहत देश के केंद्रीय बैंक से 50 विलफुल डिफाल्टर्स का ब्योरा और उनके द्वारा लिए गए कर्ज की 16 फरवरी तक की स्थिति का के बारे में जानकारी मांगी थी.

IANS
| Edited By :
28 Apr 2020, 03:17:36 PM (IST)

मुंबई:

देश के बैंकों ने तकनीकी तौर पर 50 बड़े विलफुल डिफाल्टर्स के 68,607 करोड़ रुपए के कर्ज की बड़ी राशि को को बट्टा खाते (Write Off) में डाल दिया है. इन विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) भी शामिल है. यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत दी गई जानकारी से सामने आई है. आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने सूचना का अधिकार कानून के तहत देश के केंद्रीय बैंक से 50 विलफुल डिफाल्टर्स का ब्योरा और उनके द्वारा लिए गए कर्ज की 16 फरवरी तक की स्थिति का के बारे में जानकारी मांगी थी.

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गोखले ने बताया कि मैंने यह आरटीआई इसलिए डाली क्योंकि वित्‍त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और वित राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा संसद के बजट सत्र के दौरान बीते 16 फरवरी को पूछे गए तारांकित सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था. गोखले ने बताया कि जो जानकारी सरकार ने नहीं दी वह आरबीआई (Reserve Bank) के केंद्रीय जन सूचना आधिकारी अभय कुमार ने शनिवार यानी 24 अप्रैल को दी, जिसमें कई चैंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आरबीआई ने बताया कि इस राशि (68607 करोड़ रुपये) में बकाया और टेक्निकली या प्रूडेंशियली 30 सितंबर, 2019 तक बट्टा खाते में डाली गई रकम है. इससे पहले की रिपोर्ट में एक चूक हो गई थी जिसे अब सुधार ली गई है.

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गीतांजलि जेम्स लिमिटेड शीर्ष पर पर 5,492 करोड़ रुपये का कर्ज
गोखले ने कहा कि आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2015 के फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के संबंध में जानकारी देने से मना कर दिया था. इन डिफाल्टर्स की सूची मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड शीर्ष पर है, जिस पर 5,492 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसके अलावा, गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड ने क्रमश: 1,447 करोड़ रुपये और 1,109 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. चोकसी इस समय एंटीगुआ और बारबाडोस द्वीप समूह के नागरिक है जबकि उसका भांजा व भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी इस समय लंदन में है. सूची में दूसरे स्थान पर आरईआई एग्रो लिमिटेड का नाम है, जो 4,314 करोड़ रुपये का कर्जदार है. इस कंपनी के निदेशक संदीप झुनझुनवाला और संजय झुनझुनवाला करीब एक साल से प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में हैं.

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सूची में आगे 4000 करोड़ रुपये के बै्रकेट में भगोड़ा हीरा कारोबारी जतिन मेहता की कंपनी विन्सम डायमंड एंड ज्वेलरी का नाम है जिस पर 4,076 करोड़ रुपये का कर्ज है. केंद्रीय जांच ब्यूरो विभिन्न बैंकों से जुड़े इस मामले की जांच कर रहा है. इसके बाद 2000 करोड़ रुपए की श्रेणी में कानपुर की कंपनी रोटोमक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड है जोकि जाने माने कोठारी समूह की कंपनी है, जिस पर 2850 करोड़ रुपए का कर्ज है.इसके अलावा, पंजाब की कुडोस केमी (2,326 करोड़ रुपये), ग्वालियर की जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (2,012 करोड़ रुपये) जैसी कंपनियों के नाम इस सूची में शामिल हैं.

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बात अगर 1,000 करोड़ रुपये के सेगमेंट में आने वाली कंपनियों की करें तो इसमें 18 कंपनियों के नाम हैं. इन कंपनियों में अहमदाबाद स्थित हरीश आर. मेहता की कंपनी फोरएवर प्रीसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड (1,962 करोड़ रुपये), भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (1,943 करोड़ रुपये) शामिल हैं. अगर, 1000 करोड़ से कम की श्रेणी की बात करें तो इसमें 25 कंपनियां शामिल हैं, जिनमें व्यक्तिगत व कंपनी समूह भी हैं. इन पर कर्ज की रकम 605 करोड़ रुपये से 984 करोड़ रुपये तक है. बैंकों को चूना लगाने वाले इन 50 बड़े विलफुट डिफाल्टर्स में छह ऐसे हैं जो हीरा और सोने के आभूषण के कारोबार से जुड़े हैं. गोखले ने कहा कि इनमें से अधिकांश ने प्रमुख राष्ट्रीय बैंकों को पिछले कई वर्षों से चूना लगाया है और कई लोग या जो देश छोड़कर भाग गए हैं या विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं.