फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप, जैसे ऐप्स पर चली तलवार, आखिर कैसे बचा गया TIK TOK?

नेपाल सरकार ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया है. बैन के बाद सवाल उठ रहा है कि नेपाल ने टिकटॉक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?

नेपाल सरकार ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया है. बैन के बाद सवाल उठ रहा है कि नेपाल ने टिकटॉक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?

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Ravi Prashant
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नेपाल न्यूज Photograph: (SM)

नेपाल सरकार ने देशभर में अब तक का सबसे सख्त इंटरनेट प्रतिबंध लागू कर दिया है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स, रेडिट, लिंक्डइन, पिंटरेस्ट और सिग्नल जैसे 26 बड़े सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को बंद कर दिया गया है. लेकिन इन सबके बीच टिकटॉक अब भी चालू है, और यही सवाल सबसे बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है? 

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इसलिए बैन हुए इतने सारे ऐप्स

नेपाल के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी कंपनियों को सात दिन का समय दिया गया था. उनसे कहा गया कि वे नेपाल में रजिस्ट्रेशन कराएं, स्थानीय कानून मानें और टैक्स चुकाएं. लेकिन डेडलाइन पूरी होने तक फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य कंपनियां आगे नहीं आईं. नतीजा यह हुआ कि सरकार ने उन्हें प्रतिबंधित कर दिया. 

आखिर टिकटॉक कैसे बच गया?

दरअसल, चीन की इस कंपनी ने समय रहते रजिस्ट्रेशन पूरा कर लिया. टिकटॉक ने सरकार को अपने डिटेल्स दिए और स्थानीय निगरानी मानने पर सहमति जताई. इसीलिए टिकटॉक को बैन सूची में शामिल नहीं किया गया. जबकि यह वही ऐप है जिसे 2023 में नफरत फैलाने और साइबर अपराध के आरोपों पर नौ महीने तक प्रतिबंधित किया गया था. बाद में नियम मानने के बाद इसे बहाल कर दिया गया. 

देश के कोने-कोन में प्रदर्शन

इस फैसले से नेपाल की सड़कों पर ग़ुस्सा फूट पड़ा है. राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया. खासतौर पर जेन जी प्रदर्शनकारियों ने सरकार से सोशल मीडिया बैन हटाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की मांग की. हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को आंसू गैस, पानी की बौछारें और रबर की गोलियां चलानी पड़ीं. इस हिंसा में अब तक 19 लोगों की मौत हो गई है और सौ से अधिक घायल हैं.

क्या है सरकार की दलील?

सरकार की दलील है कि ये प्रतिबंध जनता के खिलाफ नहीं बल्कि उन कंपनियों के खिलाफ है, जो टैक्स देने और स्थानीय कानून मानने को तैयार नहीं हैं. लेकिन प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार इस बैन के बहाने अभिव्यक्ति की आजादी दबा रही है. सोशल मीडिया बैन का असर नेपाल की आम जनता, कारोबार और पर्यटन उद्योग पर भी साफ दिख रहा है. लाखों प्रवासी नेपाली अपने परिजनों से जुड़े रहने के लिए इन्हीं प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है.

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