मिडिल ईस्ट में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. शुक्रवार देर रात इज़रायल ने ईरान पर ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के नाम से एक बड़ा हवाई हमला किया. इज़रायली वायुसेना के दर्जनों फाइटर जेट्स ने तेहरान, नतांज और इस्फहान के इलाकों में स्थित न्यूक्लियर फैसिलिटीज, मिसाइल निर्माण इकाइयों और सैन्य मुख्यालयों को निशाना बनाया.
यूरेनियम प्लांट में भारी तबाही
ईरान की राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में देर रात तेज़ धमाकों की आवाज़ें सुनाई दीं. नतांज यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट पर भी हमला हुआ है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सबसे संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हुई है, हालांकि ईरान सरकार ने अब तक किसी भी नुकसान की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
निर्णायक मोड़ पर खड़ा है इज़रायल
हमले के बाद इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में कहा, “हम इतिहास के एक निर्णायक क्षण में हैं. यह कार्रवाई हमारे अस्तित्व की सुरक्षा के लिए है.” इज़रायल के रक्षा मंत्री इस्राएल कात्ज़ ने देश में ‘विशेष सुरक्षा स्थिति’ घोषित कर दी है और सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
आखिर क्यों किया अटैक?
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब ईरान और इज़रायल के बीच तनाव पिछले कई महीनों से बढ़ता जा रहा था. इज़रायली खुफिया सूत्रों का दावा है कि ईरान ने पर्याप्त मात्रा में 90% तक संवर्धित यूरेनियम जमा कर लिया है, जिससे वह 15 परमाणु हथियार बना सकता है. एक वरिष्ठ इज़रायली अधिकारी ने Reuters को बताया कि ईरान कुछ ही दिनों में परमाणु बम बनाने में सक्षम हो सकता है, और इसीलिए यह हमला किया गया.
अमेरिका ने खुद को हमले से किया अलग
इज़रायल का यह हमला अमेरिकी सहयोग के बिना किया गया है. अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने बयान जारी कर कहा, “इज़रायल ने यह हमला एकतरफा किया है. अमेरिका का इस कार्रवाई से कोई लेना-देना नहीं है.”हालांकि, हमले से पहले ही अमेरिका ने इराक, जॉर्डन और खाड़ी देशों से अपने राजनयिक स्टाफ को वापस बुला लिया था, जिससे यह संकेत मिला कि वॉशिंगटन को इस हमले की आशंका थी.
ओमान में होने हैं बैठक
15 जून को ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते पर बातचीत ओमान में होनी थी, लेकिन अब यह वार्ता खतरे में पड़ गई है. ईरान ने इज़रायल को “आक्रामक और आतंकवादी राष्ट्र” करार दिया है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
क्या पहली बार हुआ ऐसा अटैक?
यह टकराव नया नहीं है. इज़रायल ईरान को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है. ईरान, इज़रायल को एक अवैध राष्ट्र बताकर हिज़्बुल्ला, हमास जैसे गुटों को सहायता देता है. हाल के वर्षों में दोनों देशों ने प्रॉक्सी वॉर, साइबर अटैक और हवाई हमलों के ज़रिए एक-दूसरे को निशाना बनाया है, लेकिन यह पहली बार है जब सीधे देश की ज़मीन पर हमला हुआ है.
क्या हो सकता है आगे?
विश्लेषकों का मानना है कि ईरान जल्द ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है. मिसाइल हमले, प्रॉक्सी ग्रुप्स के ज़रिए सीमा पार कार्रवाई और साइबर अटैक या सैटेलाइट बेस हमले हो सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन मध्य पूर्व में एक व्यापक युद्ध का खतरा अब बहुत करीब लग रहा है.
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