क्या है Rings of Fire, रशिया में आए शक्तिशाली भूकंप से कैसा कनेक्शन

आखिर क्या है रिंग ऑफ फायर जिसका रूस में आए भकूंप से खास कनेक्शन है? बता दें कि रूस में बुधवार 30 जुलाई को 1952 के बाद सबसे शक्तिशाली भूकंप आया है.

आखिर क्या है रिंग ऑफ फायर जिसका रूस में आए भकूंप से खास कनेक्शन है? बता दें कि रूस में बुधवार 30 जुलाई को 1952 के बाद सबसे शक्तिशाली भूकंप आया है.

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Dheeraj Sharma
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What is Ring of Fire

Russia Earthquake:  रूस में 30 जुलाई की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब बीते 6 दशक का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया. रशिया में 8.8 की तीव्रता वाले भूकंप से हर तरफ अफरा तफरी मच गई. यही नहीं इस भूकंप के साथ ही भयंकर सुनामी का अलर्ट भी जारी कर दिया गया. खास बात यह है कि इस भूकंप के बाद अमेरिका से लेकर जापान तक समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगीं और तीन घंटे के अंदर ही यहां सुनामी ने दस्तक भी दे डाली. हालांकि अब तक किसी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं आई है. लेकिन इस बीच रूस में आए भूकंप के साथ रिंग ऑफ फायर की चर्चा होने लगी है. आखिर क्या है रिंग ऑफ फायर जिसका रूस में आए भकूंप से खास कनेक्शन है?

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1952 के बाद आया शक्तिशाली भूकंप

बता दें कि रूस में 1952 के बाद ये सबसे बड़ा भूकंप आया है. इस भूकंप को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि क्योंकि इसने न सिर्फ रूस बल्कि कई अन्य देशों में भी हलचल मचा दी है. इस भूकंप ने प्रशांत द्वीप से लेकर जापान और अमेरिका में बड़ी सुनामी का खतरा पैदा कर दिया है. रूसी मौसम विज्ञानियों की मानें तो ये भूकंप काफी शक्तिशाली था और इसके बाद एक बड़ी सुनामी का खतरा मंडरा रहा है. ये सुनामी जापान और अमेरिका में भी दस्तक दे सकती है. 

क्या है रिंग ऑफ फायर, क्यों है अहम

दरअसल रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के चारों और एक फैला हुआ ज्वालामुखी और भूकंपीय क्षेत्र है. देखा जाए तो यह एक रिंग की तरह है फैला हुआ है और श्रंखला में है. यही वजह है कि इस रिंग ऑफ फायर कहा जाता है. बता दें कि ये पूरी रिंग टेक्टोनिक प्लेटों से बनी हुई है जो श्रंखलाबद्ध तरीके से एक साथ हैं. यही कारण है कि इन प्लेटों की हलचल के साथ ही यहां भूकंप आते हैं. यही नहीं 90 फीसदी तक भूकंप के पीछे रिंग ऑफ फायर को ही जिम्मेदार माना जाता है. 

कहां तक फैली है रिंग ऑफ फायर

बता दें कि ये रिंग ऑफ फायर अमेरिका के दक्षिणी इलाकों से शुरू होती है और न्यूजीलैंड तक बकायदा श्रंखलाबद्ध तरीके से फैली हुई है. इसके क्षेत्र की बात की जाए तो यह 40 हजार किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है. यही वजह है कि 90 प्रतिशत भूकंप इसी इलाके में आते हैं. 

धरती के 75 फीसदी ज्वालामुखी भी यहीं सक्रिय

रिंग ऑफ फायर एरिया में धरती के 75 फीसदी ज्वालामुखी भी सक्रिय हैं. ऐसे में ये क्षेत्र काफी अहम माना जाता है और भूकंप जैसी घटनाओं में सुनामी और ज्वालामुखी के फटने का खतरा भी बना रहता है. इस पूरे रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में कुल 452 ज्वालामुखी सक्रिय हैं. 

रिंग ऑफ फायर की जद में हैं ये देश

अब आप समझ गए होंगे कि आखिर रिंग ऑफ फायर क्या है और क्यों इतना अहम है. अब आपको बताते हैं कि आखिर इस रिंग ऑफ फायर की जद में कितने देश आते हैं. दरअसल रिंग ऑफ फायर की रेंज में पेरू, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, यूएसए, कनाडा, रूस, चिली, इक्वाडोर, पापुआ, इंडोनेशिया, न्यूजलैंड, जापान, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख रूप से आते हैं. इसके साथ ही जो इलाके अंटार्कटिका के किनारे या आस-पास बसे हैं वह भी इस रिंग ऑफ फायर की जद में आते हैं. बताया जाता है कि रिंग ऑफ फायर धरती की लिथोस्फेरिक प्लेट्स की हलचल का नतीजा है. 

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