चीन से बढ़ी हमारी दोस्ती तो आ गया अमेरिका का बयान, जानें भारत को क्यों बताया जरूरी

चीन से बढ़ती दोस्ती के बीच अचानक अमेरिका को भारत की फिर याद सताने लगी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर गंभीर चिंता जताई है.

चीन से बढ़ती दोस्ती के बीच अचानक अमेरिका को भारत की फिर याद सताने लगी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर गंभीर चिंता जताई है.

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Dheeraj Sharma
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US Reaction on India China Relation

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के बाद से ही भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं. खास बात यह है कि ऐसे वक्त में चीन ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. अगस्त महीने में पीएम मोदी की चीन यात्रा से पहले ही ड्रैगन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वह हमारी तीन चिंताओं को दूर करने में पूरी मदद करेगा. ऐसे में चीन से बढ़ती दोस्ती के बीच अचानक अमेरिका को भारत की फिर याद सताने लगी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने साफ किया है कि  ये रिश्ते एक "नाजुक मोड़" पर हैं और यदि इन पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो इसके गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं. 

क्यों अमेरिका को सताई भारत की चिंता

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निकी हेली का मानना है कि अगर अमेरिका चीन की बढ़ती वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं को नियंत्रित करना चाहता है तो उसे भारत जैसे मजबूत लोकतांत्रिक साझेदार के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना होगा. 

ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर सवाल

हेली ने न्यूजवीक में प्रकाशित एक लेख में ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि रूसी तेल और व्यापारिक टैरिफ को लेकर अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते तनाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने ट्रंप की ओर से भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और अतिरिक्त शुल्क लगाने के निर्णय को रणनीतिक रूप से गलत बताया. 

दरअसल यह कदम ऐसे वक्त में आया जब भारत यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से तेल खरीद रहा है.  हेली मानती हैं कि भारत को इस मुद्दे पर कूटनीतिक तरीके से समझाने की आवश्यकता है ना कि उसे सजा देने की. 

भारत की भूमिका और चीन के खिलाफ संतुलन

हेली ने यह भी कहा कि एशिया में अगर कोई देश चीन के प्रभाव को संतुलित कर सकता है, तो वह भारत है. भारत की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति चीन की आक्रामक नीतियों का जवाब देने में अहम भूमिका निभा सकती है.  उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे भारत की ताकत बढ़ेगी, वैसे-वैसे चीन की महत्वाकांक्षाएं कमजोर होंगी. "

यही नहीं हेली की मानें तो भारत केवल एक रणनीतिक साझेदार नहीं बल्कि अमेरिका के आर्थिक और सुरक्षा लक्ष्यों की पूर्ति का अहम माध्यम है. अमेरिका  अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से हटाना चाहता है, तो भारत जैसे देश की क्षमता उसका एक मजबूत विकल्प बन सकती है. खास तौर पर कपड़ा, मोबाइल फोन और सौर पैनल जैसे क्षेत्रों में भारत चीन के समान स्तर पर उत्पादन करने की क्षमता रखता है. 

ट्रंप और मोदी के बीच हो सीधी बातचीत

इतना ही नहीं हेली ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी बातचीत की जरूरत पर जोर दिया ताकि इस गतिरोध को जल्द खत्म किया जा सके. बहरहाल निक्की हेली की चेतावनी साफ है यदि अमेरिका भारत के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार करता है तो यह रणनीतिक रूप से एक बड़ी भूल होगी.  बीजिंग पहले से ही इस दरार का फायदा उठाने की फिराक में है. ऐसे में अमेरिका को भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने चाहिए. 

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