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अमेरिकी नहीं देगा पाकिस्तान को नई मिसाइल Photograph: (X@WhiteHouse)
US News: अमेरिकी दूतावास ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि वह पाकिस्तान को कोई नई उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (AMRAAM) नहीं देगा. अमेरिकी दूतावास ने ये स्पष्टीकरण उन रिपोर्टों के कुछ दिन बाद दिया है जिनमें कहा गया था कि अमेरिका दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार के बीच पाकिस्तान को ये मिसाइलें देने पर विचार कर रहा है.
अमेरिका ने मिसाइल देने को सिरे से किया खारिज
बता दें कि पहले आईं रिपोर्टों में कहा गया था कि पाकिस्तान को अमेरिका से AIM-120 उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (AMRAAM) मिलने की संभावना है. इन रिपोर्टों में कहा गया था कि अमेरिकी युद्ध विभाग (DoW) (पुराना नाम रक्षा विभाग) द्वारा अधिसूचित एक हथियार अनुबंध में पाकिस्तान को इन मिसाइलों के 35 खरीदारों में शामिल किया गया था. हालांकि, अमेरिकी दूतावास ने अब स्पष्ट कर दिया है कि यह अनुबंध पहले से मौजूद विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध में संशोधन था.
अमेरिकी दूतावास ने जारी किया बयान
टशुक्रवार को भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास ने कहा कि, "30 सितंबर, 2025 को युद्ध विभाग ने मानक अनुबंध घोषणाओं की एक सूची जारी की थी, जिसमें पाकिस्तान सहित कई देशों के लिए रखरखाव और पुर्जों के लिए मौजूदा विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध में संशोधन का उल्लेख किया गया था." दूतावास ने बयान में आगे कहा कि, “इस अनुबंध संशोधन का कोई भी हिस्सा पाकिस्तान को नई उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एएमआरएएएम) की आपूर्ति के लिए नहीं है. इस संशोधन में पाकिस्तान की किसी भी मौजूदा क्षमता का उन्नयन शामिल नहीं है."
जानें पहले की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
DoW दस्तावेज के मुताबिक, उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों C8 और D3 प्रकारों का अनुबंध टक्सन, एरिजोना स्थित रेथियॉन कंपनी को दिया गया था. ये अनुबंध कुल 2.51 अरब डॉलर से ज्यादा में हुआ था. अनुबंध में 'यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड, पाकिस्तान, जर्मनी, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, रोमानिया, कतर, ओमान, कोरिया, ग्रीस, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, नीदरलैंड, चेक गणराज्य, जापान, स्लोवाकिया, डेनमार्क, कनाडा, बेल्जियम, बहरीन, सऊदी अरब, इटली, नॉर्वे, स्पेन, कुवैत, फिनलैंड, स्वीडन, ताइवान, लिथुआनिया, इजरायल, बुल्गारिया, हंगरी और तुर्की को विदेशी सैन्य बिक्री' भी सूचीबद्ध थी. इस अनुबंध में इसे 30 मई 2030 तक पूरा होने की संभावना जताई गई थी.
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