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भारत-यूक्रेन व्यापारिक संबंध Photograph: (X)
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को करीब ढाई साल से ज्यादा हो गए हैं. इस संघर्ष ने न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है. ऐसे में भारत की भूमिका लगातार चर्चा में रही है. भारत ने इस युद्ध पर शुरुआत से ही न्यूट्रल रुख अपनाया और हर मंच पर शांति की वकालत की. न तो रूस का खुला समर्थन किया और न ही यूक्रेन का साथ दिया. बावजूद इसके, भारत पर कई बार सवाल उठते रहे कि वह रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है.
क्या वाकई में भारत है सबसे आगे?
दरअसल, भारत का रुख साफ रहा है कि वह अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों के लिए जहां से सस्ता और उपलब्ध तेल मिलेगा, वहां से खरीदेगा. आलोचक कहते हैं कि यह कदम रूस के लिए आर्थिक मदद साबित होता है. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है. इस मामले में भारत अकेला देश नहीं है. चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है और भारत दूसरे नंबर पर आता है. वहीं यूरोपीय देश रूस से प्रत्यक्ष तेल भले कम खरीदते हों, लेकिन वे सबसे ज्यादा एलएनजी के आयातक बने हुए हैं.
जेलेंस्की ने क्या कहा?
इस बीच मामला तब गर्माया जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में एक्स पर भारत को लेकर एक बयान दिया. उन्होंने भारत से जुड़े टैरिफ मुद्दे पर टिप्पणी की, जिसे कई लोगों ने भारत के खिलाफ बयान माना. इसके बाद यूक्रेन को सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना झेलनी पड़ी. लोगों ने सवाल किया कि आखिर रूस से डीजल कौन खरीद रहा है? कई यूजर्स ने जेलेंस्की से पूछा कि जब यूक्रेन खुद भारत से डीजल खरीद रहा है तो भारत पर उंगली उठाने का क्या मतलब है.
यूक्रेन किसे लेता था तेल?
यहां सवाल उठता है कि क्या वाकई यूक्रेन भारत से डीजल लेता है? तथ्य बताते हैं कि युद्ध से पहले यूक्रेन अपने तेल की जरूरतें रूस और बेलारूस से पूरी करता था. लेकिन 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद स्थितियां पूरी तरह बदल गईं. ऐसे हालात में भारत यूक्रेन के लिए एक अहम ऑयल पार्टनर बनकर उभरा और उसने भारत से डीजल का आयात शुरू कर दिया.
क्या कहते हैं आकंड़े?
यूक्रेनी एनालिटिक्स फर्म NAFTORyno की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से यूक्रेन को डीजल सप्लाई का हिस्सा 2024 में 1.9 प्रतिशत था, जो 2025 में बढ़कर 10.2 प्रतिशत तक पहुंच गया. यह वृद्धि बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022-23 के दौरान यह आंकड़ा काफी कम था. युद्ध लंबा खिंचने के साथ ही यूक्रेन ने भारत से डीजल खरीद पर तेजी से जोर दिया और आयात का स्तर कई गुना बढ़ा लिया.
भारत पर निर्भरता
इससे यह भी साफ होता है कि यूक्रेन की अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए भारत की भूमिका अहम बन गई है. ऐसे में जब जेलेंस्की भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल उठाते हैं, तो लोग उन्हें याद दिलाते हैं कि खुद उनका देश भी भारत से ऊर्जा आयात पर निर्भर हो गया है.
भारत और यूक्रेन के पहले से व्यापारिक रिश्ते
भारत और यूक्रेन के बीच पहले से ही कृषि, दवाइयों और तकनीकी क्षेत्रों में व्यापारिक रिश्ते रहे हैं. लेकिन युद्ध के बाद डीजल का यह व्यापार दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा कर रहा है. फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की ऊर्जा नीति और यूक्रेन की जरूरतें आने वाले समय में इस संबंध को किस दिशा में लेकर जाती हैं.
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