ट्रम्प की ट्रेड वॉर से कई कंपनियों के टूट गए कमर, हुआ अब तक ₹2.8 लाख करोड़ का नुकसान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर की नीति से दुनिया भर की कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. ट्रेड वॉर की नीति से कंपनियां घाटे में चल रही हैं.

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Ravi Prashant
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप Photograph: (Meta AI/NN)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ट्रेड वॉर की नीति ने दुनियाभर की कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है. रॉयटर्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, यूरोप और एशिया की बड़ी कंपनियों को अब तक $34 अरब (करीब ₹2.8 लाख करोड़) का सीधा नुकसान हो गए हैं. जिसमें बिक्री में गिरावट और लागत में इज़ाफा दोनों शामिल हैं. 

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कंपनियां नहीं कर रही हैं फॉरकास्ट

मुनाफे के अनुमान घटाए, कुछ कंपनियों ने भविष्यवाणी करना ही छोड़ दिया. Apple, Ford, Porsche, Sony जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने मुनाफे के फॉरकास्ट या तो कम कर दिए हैं या पूरी तरह हटा लिए हैं. अमेरिकी S&P 500 की 42 कंपनियों ने अपने लाभ के अनुमान में कटौती की, जबकि 16 कंपनियों ने तो कोई भी गाइडेंस देना ही बंद कर दिया.  Walmart ने कीमतें बढ़ाने की घोषणा की, जिससे खुद ट्रम्प ने नाराजगी जताई. Volvo Cars ने अगले दो साल का मुनाफे का अनुमान वापस ले लिया है. United Airlines ने एक ही तिमाही के लिए दो अलग-अलग अनुमान जारी किए, यह कहकर कि “मौजूदा माहौल में कुछ भी तय नहीं है।”

कई कंपनियां टैरिफ का शिकार

जनवरी से मार्च तिमाही के कॉर्पोरेट कॉल्स में 72% अमेरिकी कंपनियों ने ‘टैरिफ’ शब्द का ज़िक्र किया, जो पिछले तिमाही के मुकाबले दोगुना है. यूरोपीय STOXX 600 की 219 कंपनियां, जापानी Nikkei 225 की 58 कंपनियां भी इस चिंता में शामिल हैं. 

 कौन-कौन से सेक्टर हुए सबसे ज्यादा प्रभावित?

  • ऑटोमोबाइल्स: कार निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों और कच्चे माल पर टैरिफ के चलते लागत बढ़ी.
  • एयरलाइंस: महंगे पार्ट्स और ईंधन की कीमतों ने मुनाफे को दबाया.
  • कंज्यूमर गुड्स:  Kimberly Clark (Kleenex टिशू निर्माता) ने कहा कि टैरिफ की वजह से इस साल सप्लाई चेन में $300 मिलियन का अतिरिक्त खर्च आएगा. 
  • लिकर बिजनेस: Johnnie Walker और Don Julio जैसे ब्रांड्स की मालिक Diageo को हर साल $150 मिलियन का नुकसान होने का अनुमान है. 

ट्रम्प प्रशासन का दावा और हकीकत क्या?  

ट्रम्प का कहना था कि टैरिफ से अमेरिकी व्यापार घाटा कम होगा, नौकरियां लौटेंगी और विदेशी कंपनियां अमेरिका में निवेश करेंगी. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा, “अमेरिका के पास यह ताकत है कि वह टैरिफ का बोझ अपने ट्रेड पार्टनर्स पर डाल सके.” हालांकि वास्तविकता में कंपनियां भारी असमंजस में हैं. नीतियों की अनिश्चितता ने उनके रणनीतिक फैसले ठप कर दिए हैं. 

जहां एक तरफ ट्रम्प की टैरिफ नीति का उद्देश्य अमेरिकी हितों की रक्षा करना था, वहीं दूसरी ओर इसका सीधा खामियाजा वैश्विक कंपनियों के मुनाफे और आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ा. आने वाले समय में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है, क्योंकि कंपनियों को अब तक वास्तविक नुकसान का पूरा आकलन भी नहीं हो पाया है. 

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