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डोनाल्ड ट्रंप और प्रेसिडेंट पुतिन Photograph: (ANi)
आने वाले हफ्तों में दुनिया की नज़रें हंगरी पर टिकी रहेंगी. क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक अहम बैठक वहीं होने जा रही है.लेकिन इस मुलाकात में सबसे बड़ा ट्विस्ट है. पुतिन पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) का गिरफ्तारी वारंट.ऐसे में उनका विदेश यात्रा करना कानूनी और राजनीतिक दोनों लिहाज से बेहद पेचीदा मामला बन गया है.
ट्रंप ने दी जानकारी
ट्रंप ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पुतिन के साथ दूसरी बैठक की घोषणा की. उन्होंने कहा, “आज पुतिन से हुई फोन पर बातचीत बेहद सकारात्मक रही.मुझे विश्वास है कि आने वाले ‘बुडापेस्ट सम्मेलन’ से यूक्रेन युद्ध खत्म करने में बड़ी प्रगति होगी.” यानी ट्रंप इस मुलाकात को सीधे-सीधे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक निर्णायक कदम मान रहे हैं.
हंगरी के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट को बैठक स्थल के रूप में चुनने से अंतरराष्ट्रीय हलकों में हलचल मच गई है.यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में होने के बावजूद हंगरी की नीति कई बार पश्चिमी देशों से अलग दिखती है. शुक्रवार को हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज़जार्टो ने बयान दिया कि “हंगरी एक संप्रभु देश है और हम सुनिश्चित करेंगे कि पुतिन बिना किसी बाधा के हंगरी आएं, बातचीत करें और सुरक्षित लौट जाएं.” उन्होंने साफ कहा कि इस विषय पर उन्हें किसी और देश से सलाह लेने की जरूरत नहीं है.
यूरोपीय संघ ने किया स्वागत
यूरोपीय संघ की ओर से इस संभावित बैठक का स्वागत तो किया गया, लेकिन यह भी याद दिलाया गया कि पुतिन पर EU की ओर से संपत्ति जब्त करने का आदेश है, हालांकि यात्रा प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.यही कारण है कि हंगरी उन्हें कानूनी रूप से अपने देश में आने की अनुमति दे सकता है.
हंगरी से रूस के हैं अच्छे संबंध?
वहीं, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑरबान और रूस के बीच पहले से ही मित्रवत संबंध रहे हैं.लेकिन उनका रिश्ता यूक्रेन से बेहद तनावपूर्ण है.हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने दावा किया था कि हंगरी के ड्रोन उनकी सीमा में दाखिल हुए थे.जवाब में ऑरबान ने तीखा बयान देते हुए कहा, “यूक्रेन अब एक संप्रभु राष्ट्र नहीं रहा.”
अब सवाल यह है कि क्या यह ट्रंप-पुतिन मुलाकात वाकई यूक्रेन युद्ध खत्म करने की दिशा में नई शुरुआत साबित होगी या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक तमाशा बनकर रह जाएगी.दुनिया की निगाहें बुडापेस्ट पर टिक गई हैं.
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