ट्रंप ने रूस को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए नाटो देशों से की अपील, चीन पर 50-100% टैरिफ लगाने का बनाया दबाव

ट्रंप ने नाटो देशों से आग्रह किया कि वे रूसी तेल खरीदना बंद करें तथा यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए रूस पर बड़े प्रतिबंध लगायें. ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र के अनुसार, 'नाटो सदस्य तुर्किये, चीन और भारत के बाद रूसी तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार होगा.

ट्रंप ने नाटो देशों से आग्रह किया कि वे रूसी तेल खरीदना बंद करें तथा यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए रूस पर बड़े प्रतिबंध लगायें. ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र के अनुसार, 'नाटो सदस्य तुर्किये, चीन और भारत के बाद रूसी तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार होगा.

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Mohit Saxena
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donald trump Photograph: (social media)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो देशों से चीन पर 50-100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का आह्वान किया. रूस की आर्थिक पकड़ कमजोर हो सके, उनके अनुसार, यूक्रेन में युद्ध खत्म हो जाएगा. ट्रंप ने शनिवार को नाटो देशों को एक पत्र भी जारी किया. इसमें उनसे रूसी तेल खरीदना बंद करने और रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने को कहा गया. उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "जब सभी नाटो देश सहमत हो जाएंगे और ऐसा करना आरंभ कर देंगे. तो वे भी रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार रहेंगे."

युद्ध को खत्म करने में भी काफी मददगार होगा

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ट्रंप ने लिखा, 'इसके अलावा नोटो की ओर से एक समूह के रूप में चीन पर 50% से 100% टैरिफ लगाना. इसे रूस और यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म होने के पूरी तरह से वापस ले लिया जाएगा. यह घातक जरूर है, लेकिन युद्ध को खत्म करने में भी काफी मददगार होगा.'

ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र के अनुसार, 'नाटो सदस्य तुर्किये, चीन और भारत के बाद रूसी तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है. रूसी तेल खरीदने वाले 32 देशों के गठबंधन के अन्य सदस्यों में हंगरी और स्लोवाकिया भी शामिल हैं.'

यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की दिशा में अहम कदम

ट्रंप का यह पत्र, 'यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की दिशा में कोई प्रगति न होने पर मास्को पर प्रतिबंध लगाने तथा उसके तेल खरीदने वाले देशों, जैसे कि शीर्ष खरीदार चीन और भारत, पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की उनकी पूर्व की धमकियों के बाद आया है. यह हाल ही में पोलैंड में कई रूसी ड्रोनों की उड़ान के बाद एक तनावपूर्ण समय पर आया है. रूस की ओर से एक नाटो सहयोगी के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के कारण एक आक्रामक कदम था. बीते माह अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूसी तेल के निरंतर आयात का हवाला देते हुए भारतीय वस्तुओं पर  25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, लेकिन चीन के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है.'

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