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पीएम मोदी और प्रेसिडेंट पुतिन Photograph: (ANI)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर के पहले सप्ताह में भारत का दौरा करेंगे. सूत्रों के अनुसार, दौरे की संभावित तारीख 4 से 6 दिसंबर के बीच हैं. भारत सरकार पुतिन को दिल्ली के बाहर किसी शहर में मेजबानी देने पर विचार कर रही है, और जयपुर, आगरा और गोवा को संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
अब तक 22 शिखर सम्मेलन हो गए हैं
सूत्रों के अनुसार, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नवंबर में भारत आ सकते हैं ताकि पुतिन के दौरे की तैयारियां की जा सकें. यह दौरा भारत और रूस के बीच वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का हिस्सा है, जो 2000 से नियमित रूप से हो रहा है. अब तक 22 शिखर सम्मेलन हुए हैं, जो बारी-बारी से भारत और रूस में आयोजित किए गए. पिछला सम्मेलन 8-9 जुलाई 2024 को मॉस्को में हुआ था, जब पीएम मोदी वहां गए थे.
आखिर मुलाकात कहां हुई थी?
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की आखिरी मुलाकात 1 सितंबर को तिआनजिन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. उस समय मोदी ने पुष्टि की थी कि पुतिन दिसंबर में भारत का दौरा करेंगे. मोदी ने कहा था कि “हम लगातार संपर्क में हैं. दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय बैठकें भी नियमित रूप से होती रही हैं. 140 करोड़ भारतीय आपकी 23वीं शिखर बैठक के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे है.”
पीएम मोदी को दी थी शुभकामनाएं
17 सितंबर को पुतिन ने मोदी को 75वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीसरी फोन बातचीत हुई. तिआनजिन में हुई बैठक में दोनों नेताओं ने आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर जोर दिया.
45 मिनट तक बात हुई बंद गाड़ी में
सूत्रों ने बताया कि बैठक से पहले मोदी और पुतिन ने एक शेयर कार यात्रा की, जिसमें पुतिन ने मोदी का इंतजार किया और दोनों 45 मिनट तक कार में बातचीत करते रहे. मोदी ने इस दौरान कहा कि भारत आशा करता है कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ें, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और पुतिन की बातचीत शामिल है.
अमेरिका देख रहा है अलग नजरिए से
पुतिन का दौरा विशेष महत्व रखता है क्योंकि अमेरिका ने रूस से तेल की खरीद पर भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है. रूस ने इस शुल्क की आलोचना करते हुए भारत के व्यापारिक निर्णय की स्वतंत्रता का समर्थन किया. भारत ने कहा कि चीन और यूरोप भी सस्ते रूस तेल की खरीद कर रहे हैं, लेकिन केवल नई दिल्ली को अमेरिकी नजरिए से अलग किया गया.
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