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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन Photograph: (Kremlin.ru)
Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं. ऐसे में हर कोई पुतिन के बारे में जानने को इच्छुक हैं. कुछ लोगों को पुतिन के चलते वक्त हाथ ना हिलाने के रहस्य को लेकर दिलचस्पी है तो कुछ लोग पुतिन की लाइफस्टाइल के बारे में जानना चाहते हैं. ऐसे में हम आपको पुतिन के चलते वक्त दायां हाथ ना हिलाने के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब भी चलते हैं तो उनका दांया हाथ आमतौर पर बांए हाथ की तुलना में बेहद कम हिलता है या यूं कहें कि पुतिन का दांया हाथ जरा सा भी नहीं हिलता.
आपने भी कई बार उनको चलते वक्त देखा होगा उनके हाथ की मूवमेंट पर भी ध्यान दिया होगा. पुतिन के हाथ को लेकर हर किसी की अलग-अलग राय है. पुतिन के इस हाथ के ना हिलने की वजह विशेषज्ञों ने गनलिंगर गेट यानी बंदूकधारी की चाल के नाम से जानते हैं. ऐसे में हर किसी का उनके हाथ को लेकर अलग-अलग राय है. कुछ लोग उनके हाथ के ना हिलने की वजह सोवियत जासूसी संस्था KGB की खौफनाक ट्रेनिंग का हिस्सा मानते हैं. जिसे पुतिन आज तक नहीं भुला पाए हैं. बता दें कि पुतिन राजनीति में आने से पहले केजीएफ के एक खतरनाक जासूस थे.
पुतिन के हाथ को लेकर किए जाते हैं अलग-अलग दावे
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चलने का स्टाइल वैसा ही है जैसा हॉलीवुड फिल्म के 'काउबॉय' का है. जो चलते समय अपनी कमर पर लटकी रिवॉल्वर को निकालने के लिए हमेशा तैयार रहता है. इसी समानता की वजह से इसे 'गनलिंगर गेट' कहा गया. पुतिन के चलते वक्त हाथ ना हिलाने को लेकर शुरुआत में तमाम अटकलें लगाई गई थीं. कुछ का कहना था कि उन्हें बचपन में पोलियो हुआ होगा, तो कुछ ने दावा किया कि स्ट्रोक आने की वजह से पुतिन हाथ नहीं हिलाते. लेकिन सच्चाई उससे कहीं ज्यादा अलग है.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में कही गई थी ये बात
2015 में पुतिन के हाथ ना हिलाने की वजह जानने की कोशिश तेज हुई. जिसमें पुर्तगाल, इटली और नीदरलैंड के न्यूरोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने उनके चलने के तरीके पर शोध किया. जिसकी रिपोर्ट ‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल’ में प्रकाशित की हई थी. इस शोध का नेतृत्व नीदरलैंड के रेडबौड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर बास्टियन ब्लोम ने किया था. उनकी टीम ने पुतिन के दर्जनों वीडियो का विश्लेषण किया. शुरुआत में उन्हें लगा कि यह पार्किंसंस रोग के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. जिसमें शरीर के एक हिस्से में अकड़न आ जाती है. साथ ही हाथ का हिलना कम हो जाता है. लेकिन जब उन्होंने पुतिन की अन्य गतिविधियों का विश्लेषण किया, ये थ्योरी बेकार साबित हुई.
दरअसल, पुतिन जुडो में ब्लैक बेल्ट हैं. वीडियो में पुतिन विरोधियों को पटकत, भारी वजन उठाते और तैराकी करते हुए दिखते हैं. इस दौरान उनके दाहिने हाथ में गजब की ताकत नजर आती है. इस दौरान उसमें बिल्कुल भी कंपनी नहीं होता. यही नहीं वे अपने दाहिने हाथ से ही दस्तखत करते हैं वो भी बिना कांपे. बैठकों के दौरान भी दाहिने हाथ से तेजी से नोट्स लेते हैं. ऐसे में अगर उन्हें पार्किंसंस या स्ट्रोक होता, तो उनका दाहिना हाथ इतनी फुर्ती से काम न करता.
KGB मैनुअल से जुड़ा है पुतिन के हाथ का रहस्य
उसके बाद शोधकर्ताओं ने पुतिन के अतीत के बारे में जानने की कोशिश की. जिसमें शीत युद्ध के दौरान उनकी सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB के पुराने ट्रेनिंग मैनुअल की जानकारी मिली. क्योंकि व्लादिमीर पुतिन 16 साल तक KGB में रहे. वे पूर्वी जर्मनी में एक प्रशिक्षित जासूस थे. दरअसल, केजीबी एजेंटों को एक खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि केजीबी का पुराना ट्रेनिंग मैनुअल उनके हाथ लगा. जिसमें एजेंटों को चलने का तरीका सिखाया जाता था.
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जिसमें सिखाया गया कि जब भी आप चलें अपने हथियार वाले हाथ यानी दाहिने हाथ को छाती के करीब या अपनी कमर के पास स्थिर रखें. इसे अधिक ना हिलाएं. जिससे आप पलक झपकते ही अपनी बंदूक निकाल सकें और दुश्मन को निशाना बना सकें. ये ट्रेनिंग इसलिए दी गई थी कि चलते-फिरते, भीड़भाड़ में या किसी मिशन के दौरान अगर अचानक हमला करना पड़े या खुद का बचाव हो तो हाथ को बंदूक तक पहुंचने में एक मिलीसेकंड का भी समय न लगे.
जासूसी की दुनिया में हाथ हिलाने को समय की बर्बादी और मौत माना गया. विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन भले ही अब जासूस ना हों लेकिन लेकिन ये ट्रेनिंग अब उनके मसल मेमोरी का हिस्सा बन गई है. इसीलिए उनका शरीर आज भी उसी तरह से काम करता है.
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