भारत के विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि वह पड़ोसी देश बांग्लादेश में बिगडती कानून-व्यवस्था के हालात को लेकर चिंतित है. ये गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी खराब हो गई है. मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चरमपंथी तत्वों को बरी और दोषमुक्त करने को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर रही है.
विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, 'हम एक स्थिर, शांतिपूर्ण, और प्रगतिशील बांग्लादेश का समर्थन करते हैं. इसमें सभी मुद्दों का समाधान लोकतांत्रिक तरीकों से और भागीदारीपूर्ण चुनावों के जरिए किया जाता है. जायसवाल के अनुसार, हम बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में चिंतित हैं. यह गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी खराब हो गई है.'
सत्ता छोड़ भारत भागना पड़ा था
5 अगस्त 2024 को तत्कालीन पीएम शेख हसीना को अपनी सत्ता छोड़ भारत भागना पड़ा था. इसके बाद से बांग्लादेश में कानून व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा. यहां पर लगातार स्थिति खराब होती जा रही है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू और अहमदिया समुदायों के सदस्यों पर हमलों का सिलसिला जारी है. इस मामले में विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बार फिर इस गंभीर मामले को उठाया.
98 प्रतिशत राजनीतिक प्रकृति की घटनाएं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, 'हमने बार-बार इस बात को महत्व दिया है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ उनकी संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है. जायसवाल के अनुसार, जैसा कि अब तक देखा जा रहा है, 5 अगस्त 2024 और 16 फरवरी 2025 के बीच मीडिया रिपोर्ट सामने आई. इसमें 2374 घटनाओं में से मात्र 1254 की ही पुलिस की ओर से पुष्टि की गई है. इसके अलावा इन 1254 घटनाओं में से 98 प्रतिशत राजनीतिक प्रकृति का बताया गया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम यह उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश पूरी जांच करेगा. हत्या, आगजनी और हिंसा के सभी अपराधियों को बिना किसी भेदभाव के न्याय के कटघरे में लाएगा.'
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