आर्मी चीफ मुनीर है 'जिहाद का वारिस', कर रहे हैं सेना में आतंकियों की भर्ती?

पाकिस्तान ने 28 मई को अपने परमाणु परीक्षण की सालगिरह को "यौम-ए-तकबीर" के तौर पर मनाया. लेकिन इस बार सिर्फ़ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं हुआ, बल्कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने इसे जिहादी नैरेटिव में बदलने की कोशिश की.

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Ravi Prashant
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असीम मुनीर Photograph: (X)

पाकिस्तान ने 28 मई को अपने परमाणु परीक्षण की सालगिरह को “यौम-ए-तकबीर” के रूप में मनाया. लेकिन इस बार सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं हुआ, बल्कि कट्टर इस्लामी संगठनों ने इसे एक जिहादी नरेटिव में बदलने की कोशिश की. लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के राजनीतिक विंग मानी जाने वाली मिली मुस्लिम लीग (MML) ने इस मौके पर कराची और लाहौर में बड़े स्तर पर पोस्टर लगाए, जिन पर लिखा था — “जब पाकिस्तान अजेय बना”. इन पोस्टरों पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की तस्वीर प्रमुखता से छपी थी, जिसे भारतीय खुफिया एजेंसियों ने तीसरी पीढ़ी के जिहाद का चेहरा बताया है.

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कौन हैं MML के चेहरे?

पोस्टरों में MML के तीन प्रमुख नेताओं के नाम भी दर्ज हैं, फैसल नदीम जो सिंध प्रांत का अध्यक्ष है. नदीम अवान जो कराची का अध्यक्ष है.  नोमान अली कराची का उपाध्यक्ष है.  MML की स्थापना सैफुल्लाह खालिद ने की थी, जो हाफिज सईद के करीबी माने जाता है. पार्टी खुद को एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य की समर्थक बताती है और जमात-उद-दावा (JuD) के सामाजिक कार्यों को राजनीतिक मंच देने का दावा करती है.

सेना-जिहाद का गठबंधन

भारतीय खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस तरह के पोस्टर पाकिस्तान की सैन्य ताकत और जिहादी सोच के मेल की तस्वीर पेश करते हैं. सूत्रों का कहना है, “पाकिस्तानी फौज सिर्फ वर्दी में नहीं, बल्कि सलवार-कुर्ता पहने लोगों के बीच भी मौजूद है. यह जिहाद और सेना के गहरे रिश्ते को दर्शाता है”

पाकिस्तानी सेना में आतंकी विचारधारा

इसमें कोई शक नहीं है कि जनरल असीम मुनीर ‘तीसरी पीढ़ी के जिहाद’ का नेतृत्व कर रहे हैं. वे हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे गैर-राज्यीय आतंकियों से आगे निकलकर, राज्य की ताकत, धार्मिक कट्टरता और आतंकी विचारधारा का समन्वय कर रहे हैं. मुनीर ने पाकिस्तानी सेना की ट्रेनिंग में कट्टरपंथी मौलवियों को शामिल किया है, जो सैनिकों को यह सिखाते हैं कि कश्मीर के लिए जिहाद एक धार्मिक फर्ज है. बैठकों में मुनीर अक्सर कुरान की आयतें पढ़ते हैं और भारतीय सेना को “जालिम ताकत” करार देते हुए सैनिकों को जिहादी सोच से लैस करते हैं.

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