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इंडिया अफगानिस्तान तनाव Photograph: (ANI)
तुर्की में चल रही शांति वार्ता के बीच पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. गुरुवार को पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान की सीमा पर प्रोजेक्टाइल दागे, जिससे कई इलाकों में दहशत फैल गई. अफगान सेना के एक अधिकारी ने एएफपी से बातचीत में दावा किया कि पाकिस्तान ने हल्के और भारी दोनों तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया और आम नागरिक इलाकों को निशाना बनाया.
अफगान ने नहीं की कोई कार्रवाई
अफगान अधिकारी ने बताया, “हमने अभी तक जवाबी कार्रवाई नहीं की है, क्योंकि तुर्की में वार्ता जारी है और हम उसे सम्मान देना चाहते हैं.” इस बयान से साफ है कि काबुल फिलहाल तनाव को बढ़ने से रोकना चाहता है, हालांकि जमीन पर हालात तेजी से बिगड़ सकते हैं.
तुर्की में जारी है शांति वार्ता
दरअसल, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल इस समय तुर्की में शांति वार्ता के दूसरे दौर में हिस्सा ले रहे हैं. उद्देश्य यह है कि हाल ही में हुई सीमा झड़पों के बाद जो नाजुक सीजफायर बनी है, उसे किसी तरह स्थिर रखा जाए. लेकिन पाकिस्तान की यह कार्रवाई वार्ता की दिशा को प्रभावित कर सकती है.
पाकिस्तान लगाता है आरोप
पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़े हैं. इस्लामाबाद का आरोप है कि अफगानिस्तान की जमीन से कई आतंकी गुट, खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), उस पर हमले करते हैं. पाकिस्तान का दावा है कि काबुल इन गुटों को पनाह देता है. वहीं, अफगानिस्तान इन आरोपों को सिरे से खारिज करता है और पलटवार करते हुए कहता है कि पाकिस्तान खुद आतंकी गुटों को शरण देता है, जिनमें इस्लामिक स्टेट (ISIS)की अफगान शाखा भी शामिल है, जो अफगानिस्तान में कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुकी है.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?
विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच अविश्वास का माहौल इतना गहरा हो चुका है कि तुर्की में चल रही बातचीत भी केवल औपचारिकता भर रह सकती है. सीमा पर गोलीबारी और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से साफ है कि दक्षिण एशिया का यह संवेदनशील इलाका फिर किसी बड़े संघर्ष की ओर बढ़ सकता है.
फिलहाल, अफगान सरकार संयम दिखा रही है, लेकिन अगर इस तरह के हमले जारी रहे तो उसके पास सैन्य जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि तुर्की में हो रही वार्ता शांति की राह खोलती है या दोनों देशों को एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर ले जाती है.
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