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मौलाना फजलुर रहमान Photograph: (X)
पाकिस्तान की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब Maulana Fazlur Rehman ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा की जा रही सीमा पार सैन्य कार्रवाई पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए. Jamiat Ulema-e-Islam-F के प्रमुख ने कहा कि अगर इस्लामाबाद अफगानिस्तान के भीतर हमलों को सही ठहराता है, तो वह भारत द्वारा की गई इसी तरह की कार्रवाई का विरोध नहीं कर सकता.
भारत की कार्रवाई से सीधी तुलना
मौलाना फजलुर रहमान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर पाकिस्तान यह दावा करता है कि उसने अफगानिस्तान में अपने दुश्मनों को निशाना बनाया, तो भारत भी यही तर्क दे सकता है कि उसने बहावलपुर और मुरिदके में उन ठिकानों पर हमला किया, जहां से कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां संचालित होती हैं. उन्होंने पूछा कि ऐसे में पाकिस्तान किस आधार पर आपत्ति दर्ज कराता है.
सेना नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष सवाल
उनकी टिप्पणी को पाकिस्तान के सेना प्रमुख Asim Munir के नेतृत्व वाली सैन्य रणनीति पर अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है. मौलाना ने कहा कि अफगानिस्तान अब पाकिस्तान पर वही आरोप लगा रहा है, जो पाकिस्तान लंबे समय से दूसरों पर लगाता रहा है, और दोनों रुखों को एक साथ सही नहीं ठहराया जा सकता.
ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ
अपने बयान में उन्होंने भारत की उस सैन्य कार्रवाई का जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. यह कार्रवाई कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. इन ठिकानों में Jaish-e-Mohammad और Lashkar-e-Taiba से जुड़े ठिकाने शामिल बताए गए.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान का क्या है मामला?
पाकिस्तान और Afghanistan के बीच तनाव 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से लगातार बढ़ा है. इस्लामाबाद का आरोप है कि अफगान धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी आतंकवादी कर रहे हैं, जबकि काबुल इन आरोपों से इनकार करता रहा है.
भारत की प्रतिक्रिया
इस बीच India ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई पर चिंता जताई है. Ministry of External Affairs के प्रवक्ता Randhir Jaiswal ने कहा कि सीमा झड़पों में अफगान नागरिकों की मौत की खबरें चिंताजनक हैं और भारत निर्दोष लोगों पर हमलों की निंदा करता है.
मध्यस्थता की पेशकश
मौलाना फजलुर रहमान पहले भी पाकिस्तान की अफगान नीति की आलोचना करते रहे हैं और तनाव के समय दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं. उनके ताजा बयान को पाकिस्तान में सैन्य और कूटनीतिक नीति पर बढ़ती आंतरिक बहस के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
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