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तालिबान के उभार से बढ़ सकते हैं दुनिया में 9/11 जैसे आतंकी हमले

खुफिया संस्था एमआई-5 चीफ कैन मेकलम के मुताबिक पश्चिमी देशों में तालिबान की सरकार के बनने के बाद अलकायदा स्टाइल आतंकी हमले बढ़ सकते हैं.

Updated on: 11 Sep 2021, 07:12 AM

highlights

  • ब्रिटिश खुफिया संस्था एमआई-5 के चीफ कैन मेकलम की बड़ी चेतावनी
  • अफगानिस्तान बन सकता है आतंकवादियों का मजबूत और बड़ा गढ़
  • अमेरिका-ब्रिटेन ही नहीं पश्चिमी देशों पर बढ़ गया अल-कायदा का खतरा

लंदन:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की अंतरिम सरकार बनने और उसके विरोधाभासी चेहरों ने उन देशों की भी नींद उड़ा दी है, जो शुरुआती तौर पर तालिबान (Taliban) के प्रति लचीला रवैया अपनाए हुए थे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इसी कड़ी में नाम आता है. अब तो सामरिक विशेषज्ञ भी तालिबान के क्रूरता भरे पुराने अंदाज को देख वैश्विक शांति को लेकर आशंकित हो रहे हैं. आलम यह है कि ब्रितानी खुफिया संस्था एमआई-5 के डायरेक्टर जनरल कैन मेकलम ने तो खुलेआम चेतावनी दे दी है कि तालिबान के दो दशकों बाद ताकतवर स्वरूप में वापसी से दुनिया भर पर अल-कायदा (Al Qaeda) से पोषित-प्रेरित अमेरिका के 9/11 जैसे आतंकी हमलों का खतरा बढ़ गया है. 

अफगानिस्तान बन सकता है आतंकियों का मजबूत गढ़
विशेषज्ञों की मानें तो लगभग दो दशकों बाद अफगानिस्तान आतंकियों का नए सिरे से मजबूत गढ़ बन सकता है. कैन मेकलम के मुताबिक पश्चिमी देशों में तालिबान की सरकार के बनने के बाद अलकायदा स्टाइल आतंकी हमले बढ़ सकते हैं. उन्होंने इन आतंकी हमलों को लेकर ब्रिटेन को भी आगाह किया है. इसके पीछे वह तर्क देते हैं कि अफगानिस्तान से अब नाटो सेना भी पूरी तरह से रवानगी दर्ज करा चुकी है. साथ ही अफगानिस्तान में कोई चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार नहीं है. ऐसे में आतंकी हमलों का खतरा और बढ़ सकता है. वह कहते हैं कि अल-कायदा की शैली में भीषण आतंकी हमलों के लिए अफगानिस्तान में नए सिरे से ट्रैनिंग कैंप स्थापित कर उन्हें आतंक के लिए जरूरी साज-ओ-सामान से लैस किया जा सकता है. 

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अमेरिका नहीं ब्रिटेन को भी बढ़ा आतंकी हमलों का खतरा
कैन मेकलम के मुताबिक बीते एक दशक में ब्रिटेन कई आतंकी हमलों का साक्षी बना है. इन आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले फिदायीन किसी न किसी विचारधारा से प्रेरित रहे. ऐसे में अब औऱ सावधानी बरते जाने की जरूरत है, क्योंकि एक बार फिर अल-कायदा शैली के आतंकी हमले होते दिख सकते हैं. गौरतलब है कि 2005 में ब्रिटेन में सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था. तब ट्रेन और बस में कुल 52 लोगों को आत्मघाती हमलावर ने मार डाला था. कैन मेकलम इसके लिए ब्रिटेन में हुए छोटे आतंकी हमलों का भी हवाला देते हैं, जिसमें हमलावर ने लोगों को मारने के लिए चाकू और बंदूक का इस्तेमाल किया. जाहिर है तालिबान राज ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के ऊपर एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है.