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अफगानिस्तान की महिलाओं ने मांगा सरकारी नौकरियों में वापसी का अधिकार 

महिलाओं का कहना है कि काम करने की इच्छा के बाद भी तालिबान सरकार सरकारी नौकरियों में उन्हें काम करने से रोक रही है. 

Updated on: 11 Sep 2021, 08:58 AM

काबुल:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने के बाद से ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. महिलाओं के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है. लड़कियों की हायर स्टडी पर रोक के साथ ही अब महिलाओं को नौकरी करने से रोका जा रहा है. अफगानिस्तान में जो महिलाएं कुछ दिनों पहले तक सरकारी नौकरी (Government Jobs) कर रही थीं, अब उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है. इसे लेकर महिलाओं में रोष हैं. उन्होंने सरकारी नौकरी में वापसी की मांग की है. इसे लेकर प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं. 

अफगानिस्तान के टोलो न्यूज की खबर के मुताबिक शुगुफा नजीबी, जिनके पास भारत से कानून में मास्टर डिग्री है, पिछले 10 साल से अफगानिस्तान की संसद में काम कर रही थीं. अब तक वह संसद पहुंची तो उन्हें रोक दिया गया. उन्होंने जब कहा कि नई सरकार ने महिलाओं को काम करने की छूट दी है तो क्यों रोका जा रहा हैं? वहां खड़े लोगों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. बाद में उनसे कहा गया कि अब ऑफिस ना आएं. 

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आंकड़ों के मुताबिक अफगानिस्तान में सैन्य क्षेत्र में करीब 5 हजार महिलाएं काम कर रही थीं. पिछली सरकार में करीब 120,000 महिलाएं सिविल संगठनों में काम कर रही थीं. काबुल पुलिस जिला 8 की पूर्व पुलिस अधिकारी हनीफा हमदार ने कहा कि वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. हनीफा ने कहा कि "मैं एक विधवा हूं. मेरे चार बच्चे हैं. अगर मैं काम पर न जाऊं तो बच्चों के लिए खाना कहां से आएगा?"

तालिबान ने केवल स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में महिलाओं को काम फिर से शुरू करने की अनुमति दी है. सरकारी अस्पताल की डॉक्टर लीमा मोहम्मदी ने कहा कि पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि “महिलाओं की अस्पताल में और अन्य जगहों पर जरूरत है. जैसे पुरुष काम करते हैं, वैसे ही महिलाओं को भी काम करना चाहिए."

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पूर्व सांसद फौजिया कूफ़ी ने कहा कि “मैंने 2019 में तालिबान के साथ बात की. उन्होंने मुझे बताया कि इसमें कोई समस्या नहीं है कि कोई महिला मंत्री या प्रधान मंत्री बन जाती है या कोई अन्य उच्च पद लेती है. फौजिया के मुताबिक तब उन्होंने दुनिया को एक उदार चेहरा दिखाने और अंतरराष्ट्रीय वैधता प्राप्त करने के लिए ऐसा कहा था. यह बहुत निराशाजनक है..."