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पाकिस्तान में क्यों नहीं मिलती विदेशी दूल्हों को नागरिकता ?

आलिमा आमिर और उनके पति सैयद आमिर अली पाकिस्तान गये. आलिमा की इच्छा फिर भारत लौटने की नहीं थी. लेकिन पाकिस्तान में बसने का उनका इरादा इतना आसान नहीं था. 

Updated on: 08 Nov 2021, 10:02 PM

highlights

  • आमिला आमिर पंजाब के लाहौर शहर में रहती हैं
  • आमिला के पति सैयद आमिर अली भारत के नागरिक हैं
  • पाकिस्तान की नागरिकता के लिए नागरिकता अधिनियम 1951 मौजूद है

नई दिल्ली:

भारत-पाकिस्तान के मुसलमानों के बीच शादी ब्याह आम बात है. भारतीय लड़कियां दुल्हन बनकर पाकिस्तान और पाकिस्तान की लड़कियां दुल्हन बनकर भारत आती हैं, और कुछ दिनों बाद यहां की नागरिक बन जाती हैं. ठीक ऐसा ही पाकिस्तान में भी होता है. लेकिन पाकिस्तान की एक घटना इस समय चर्चा में है. पाकिस्तान की आलिमा आमिर 1996 में भारत के रहने वाले सैयद आमिर अली से शादी कर भारत आ गयीं. पांच साल बाद आलिमा आमिर और उनके पति सैयद आमिर अली पाकिस्तान गये. आलिमा की इच्छा फिर भारत लौटने की नहीं थी. लेकिन पाकिस्तान में बसने का उनका इरादा इतना आसान नहीं था. 

 आलिमा कहती हैं कि "मैं अपने परिवार के साथ 2001 में यह सोचकर पाकिस्तान आई थी कि पाकिस्तान मेरा जन्मस्थान है. इस आधार पर मेरे पति सैयद आमिर अली को आसानी से पाकिस्तानी नागरिकता मिल जाएगी. जब हम लाहौर पहुंचे और आवेदन जमा किया तो हमारे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई. हमें पता चला कि विदेशियों से शादी करने वाली पाकिस्तानी महिलाओं के पतियों को शादी के आधार पर पाकिस्तान की नागरिकता नहीं मिल सकती."

आमिला आमिर पंजाब के लाहौर शहर में रहती हैं. चार बच्चों की मां आलिमा आमिर के पति एक भारतीय नागरिक हैं और इस समय वो अदालत के आदेश पर पाकिस्तान में रह रहे हैं. आलिमा को अच्छी तरह याद है, जब वो अपने परिवार के साथ भारत से पाकिस्तान जा रही थीं. वो कहती हैं, ''हमें नहीं पता था कि पाकिस्तान में कोई ऐसा क़ानून है. हमने सोचा था कि दोनों पति-पत्नी को ये अधिकार है कि वो अपने साथी के लिए नागरिकता हासिल कर सकते हैं.

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''लेकिन जब हम पाकिस्तान गए तो हमें पता चला कि ये मुमकिन नहीं है. और तब से हमारे और हमारे बच्चों के लिए बेइंतहां मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. शुक्र है कि अदालतें और पाकिस्तानी अधिकारी हमारे मामले को मानवीय आधार पर देखते रहे. नहीं तो पता नहीं हमारा क्या होता.''

ये सिर्फ़ एक आलिमा आमिर की कहानी नहीं है. पाकिस्तान में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें विदेशी लोगों से शादी करने के बाद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हाल में, पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह ज़िले में पेशावर की रहने वाली समिया रूही ने पेशावर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. उन्होंने अपने अफ़ग़ान पति को पाकिस्तानी नागरिकता देने की मांग की है.

याचिका में समिया रूही का कहना है कि उनके पांच बच्चे हैं. उनके पति कुवैत में काम करते हैं, जिन्हें कोरोना के पहले बच्चों से मिलने के लिए एक महीने का वीज़ा दिया जाता था, लेकिन अब उन्हें वो भी नहीं मिल रहा है. वो कहती है कि उन्हें अपने पति के बिना बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

 इस तरह की समस्याओं का सामना कर रही पाकिस्तानी महिलाएं का डेटा पाकिस्तान के किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन के पास नहीं है. हालांकि आसमा जहांगीर फ़ाउंडेशन की कार्यकारी अधिकारी निदा अली एडवोकेट के मुताबिक़ ऐसे कई मामले हैं.

पाकिस्तानी नागरिकता का क़ानून क्या है?

पाकिस्तान की नागरिकता के लिए नागरिकता अधिनियम 1951 मौजूद है. इस अधिनियम की धारा 10 स्पष्ट करती है कि शादी के मामले में कौन पाकिस्तानी नागरिकता का हक़दार होगा और कौन नहीं.

इस धारा के तहत, यदि कोई पाकिस्तानी पुरुष किसी विदेशी महिला से शादी करता है, तो वो पाकिस्तानी नागरिकता हासिल करने की हक़दार है. लेकिन ये अधिकार महिलाओं को नहीं दिया गया.

साल 2000 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिना जिलानी एडवोकेट की रिट याचिका को मंज़ूरी देने के बाद, इस क़ानून में अहम बदलाव हुए हैं. इसके तहत पाकिस्तानी नागरिकता वाले माता या पिता के बच्चों को पाकिस्तानी नागरिकता का अधिकार दिया गया है. हालांकि, यही अधिकार पाकिस्तानी महिलाओं के विदेशी पतियों को नहीं दिया गया.