समझें क्या है ब्रेक्ज़िट और क्यों मचा है लंदन की सड़को पर बवाल
प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने रविवार को चेतावनी दी कि इस समझौते को संसद के नामंजूर करने पर विपक्षी लेबर पार्टी सत्ता में आ जाएगी.
नई दिल्ली:
यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के समझौते पर संसद में 11 दिसंबर को मतदान होना है. इस बीच, प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने रविवार को चेतावनी दी कि इस समझौते को संसद के नामंजूर करने पर विपक्षी लेबर पार्टी सत्ता में आ जाएगी. ब्रिटेन के अगले साल 29 मार्च को ईयू से बाहर होने का कार्यक्रम है. इस पर दो साल पहले ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ था.
वहीं रविवार को यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने के समझौते पर संसद में अहम मतदान से पहले कड़ी सुरक्षा के बीच ब्रेक्ज़िट के समर्थन में हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को मार्च किया. ब्रेक्ज़िट समर्थक मार्च (ब्रेक्ज़िट बिट्रायल) और ब्रेक्ज़िट विरोधी मार्च एक ही समय पर हुए लेकिन वे अलग - अलग मार्ग से गुजरे.
बता दें कि ब्रेक्ज़िट विवाद की वजह से ब्रिटेन में 24 घंटे के अंदर तीन मंत्री सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं.
आइए समझते हैं कि ब्रेक्ज़िट क्या है?
'ब्रेक्ज़िट' शब्द दो शब्दों 'ब्रिटेन' और 'एक्ज़िट' से मिलकर बना है. ब्रिटेन में इस मुद्दे को लेकर दो गुट बने हैं, एक गुट EU के समर्थक यानी कि यूरोपियन यूनियन के बने रहने में यक़ीन करते हैं. जिसे 'रीमेन' कहा जाता है. वहीं दूसरे गुट यूरोपियन यूनियन से अलग होने की बात करते हैं. इन्हें 'लीव' कहा जाता है.
यूरोपियन यूनियन से अलग होने वाले यानी कि 'लीव' गुट की दलील है कि ब्रिटेन की पहचान, आज़ादी और संस्कृति को बनाए और बचाए रखने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है. वहीं यह गुट ब्रिटेन में आने वाले प्रवासियों का भी विरोध करते हैं. उनका कहना है कि यूरोपियन यूनियन ब्रिटेन के करदाताओं के अरबों पाउंड सोख लेता है, और ब्रिटेन पर अपने 'अलोकतांत्रिक' कानून थोपता है.
और पढ़ें- ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा ने चेताया, कहा- ब्रेक्ज़िट नहीं हुआ तो चुनाव का करना होगा सामना
वहीं 'रीमेन' खेमे के लोगों का कहना है कि ब्रिटेन की बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए यूरोपियन यूनियन में बने रहना ज़्यादा अच्छा है. दरअसल यूरोप ब्रिटेन का सबसे अहम बाज़ार है, और यहीं से उन्हें विदेशी निवेश का फ़ायदा भी मिलता है. वित्तीय जानकारों का मानना है कि यूरोपियन यूनियन में बने रहने की वजह से ही लंदन दुनिया का बड़ा वित्तीय केंद्र बना हुआ है. ऐसे में ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलना उसके स्टेटस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
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