काबुल से जा रहा US तो अब अफगान में फंसे भारतीयों का भविष्य क्या है?
काबुल की जमीन से यूएस अपना बोरिया बिस्तर समेट रहा है, आतंकी हमले जारी है और आतंकी साजिशें भी. इसका जवाब यूएस फोर्सेज दे रही है, लेकिन आतंक और यूएस के बीच अगर कुछ फंस गया है तो वह है इंसानी जिंदगियां जो घर वापसी चाहती है.
highlights
- अमेरिका के जाने के बाद काबुल एयरपोर्ट सहित सबकुछ तालिबान के हवाले
- अफगानिस्तान में एक बार फिर 'तालिबानी राज' की वापसी
- अफगानिस्तान में अभी भी फंसे हुए हैं सैकड़ों भारतीय
नई दिल्ली:
काबुल की जमीन से यूएस (US) अपना बोरिया बिस्तर समेट रहा है, आतंकी हमले जारी है और आतंकी साजिशें भी. इसका जवाब यूएस फोर्सेज दे रही है, लेकिन आतंक और यूएस के बीच अगर कुछ फंस गया है तो वह है इंसानी जिंदगियां जो घर वापसी चाहती है. सूत्रों के मुताबिक, काबुल की जमीन पर लगभग 50 भारतीय और अफगानिस्तान में अभी भी सैकड़ों की संख्या में भारतीय हैं जो वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन, उनके इंतजार की घड़ियां कब खत्म होंगी यह कोई नहीं बता सकता. आतंकी हमलों के बाद काबुल से इवैकुएशन बंद हो चुका है और यूएस के जाने के बाद काबुल एयरपोर्ट सहित सबकुछ तालिबान के हवाले होगा.
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आतंकी हमलों की जद में आए काबुल एयरपोर्ट से यूएस के अलावा सभी फ्लाइट बंद हो चुकी है और ऐसे में अब काबुल से वतन वापसी तालिबानी व्यवस्था के हवाले होगी. तालिबान काबुल की जमीन से कब कमर्शियल फ्लाइट शुरू करेगा और फ्लाइट ऑपेरशन किस तरह से संचालित होगा, इसे लेकर कुछ भी निश्चित नहीं है. क्योंकि, जब तक अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व में एक सत्ता व्यवस्था नहीं बनती तबतक उसके मित्र देशों से भी कमर्शियल फ्लाइट शुरू नहीं हो सकती है.
वहीं, इवैकुएशन को लेकर तालिबान किन देशों को इजाजत देगा, क्या भारत तालिबान से इस बाबत औपचारिक बातचीत शुरू करेगा या फिर किस तरह के संबंध बहाल होंगे या नहीं होंगे, भारत तालिबान को मान्यता देगा या नहीं देगा, ये तमाम ऐसे सवाल है जो अधर में लटके हैं और भारत वेट एंड वॉच की पालिसी पर बना हुआ है.
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मौजूदा स्थिति में जो अफगानी सिख और हिन्दू हैं, उनके निकलने की आस भी धूमिल हो चुकी है, क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान के नागरिकों के विदेश जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकिं तालिबान ये कह रहा है कि विदेशी नागरिक अपने वतन चाहें तो जा सकते हैं, लेकिन मौजूदा हालात में वे कैसे अफगनिस्तान से निकल पाएंगे इसका कोई ठोस उतर तालिबान के पास भी नहीं है. यानी तालिबान की जमीन पर आतंक के आगोश में अपनी जिंदगी की घड़ियों को गिनने के अलावा भारतीयों के पास कोई दूसरा रास्ता फिलहाल तो नहीं है.
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