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ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति से भारत के IT इंडस्ट्री में बेचैनी

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन-हायर अमेरिकन' के नारे के बाद भारत की 150 अरब डॉलर की आईटी इंडस्ट्री पर सबसे बुरा असर पड़ा है।

Updated on: 22 Jan 2017, 08:07 PM

highlights

  • डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन-हायर अमेरिकन' के नारे ने भारतीय आईटी इंडस्ट्री की नींद उड़ा दी है
  • ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों की वजह से भारतीय आईटी कंपनियां देखो और इंतजार करो की नीति अपनाई हुई हैं

New Delhi:

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन-हायर अमेरिकन' के नारे ने भारत की 150 अरब डॉलर की आईटी इंडस्ट्री की नींद उड़ा दी है।  

भारतीय आईटी इंडस्ट्री फिलहाल देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहे हैं। भारत की आईटी इंडस्ट्री की नजर ट्रंप प्रशासन की तरफ से जारी होने वाली नीतियों पर है। भारत के आईटी और इलेक्ट्रानिक्स मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने अमेरिका के साथ बेहतर संबंधों को लेकर उम्मीद जताई है। भारतीय आईटी कंपनियों के कुल निर्यात में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 60 फीसदी है।

ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'भारत की आईटी कंपनियां 80 देशों के 200 शहरों में मौजूद हैं। इन कंपनियों ने अमेरिकी बाजार को बहुत कुछ दिया है। भारतीय आईटी कंपनियों ने लाखों अमेरिकी लोगों को रोजगार दिया है। जहां तक मैं जानता हूं कि इन कंपनियों ने अरबों डॉलर का टैक्स भी दिया है। भारतीय आईटी कंपनियों ने कर, राजस्व और रोजगार के मामले में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दिया है।'

आईटी मंत्री प्रसाद ने कहा, ‘भारत ट्रंप सरकार के साथ अर्थपूर्ण संपर्क चाहता है। हम भारतीय कंपनियों के बारे में ट्रंप के विचारों का इंतजार कर रहे हैं। हमने अपने विचार उन्हें बता दिए हैं। आगे भी हम ऐसा करना जारी रखेंगे।’

नैस्कॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने कहा कि ट्रंप भारत के अनुकूल हैं। चूंकि वह खुद उद्योगपति हैं इसलिए कारोबार से जुड़ी वास्तविकताओं को बेहतर समझते हैं।

ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति की वकालत किए जाने के बाद संरक्षणवादी नीतियों को लेकर चिंता बढ़ी है और इससे भारतीय आईटी उद्योग में बेचैनी है। इससे पहले इसी महीने अमेरिकी संसद में दो सांसदों ने एच-1बी वीजा को लक्ष्य कर एक विधेयक पेश किया है। सांसदों का कहना है कि इससे कार्य वीजा के दुरपयोग को रोका जा सकेगा।

इन्फोसिस के प्रमुख विशाल सिक्का ने कहा कि ट्रंप खुद उद्यमी और कारोबारी नेता हैं। निकट भविष्य में वीजा और एच-1बी वीजा नीतियों में कुछ बदलाव हो सकता है।