प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने का जुर्माना चुकाने हर महीने 9.7 लाख रुपये उधार ले रहा है नीरव मोदी
सुनवाई की पेशी के दौरान अदालत ने नीरव मोदी से पूछा कि उसने जुर्माना क्यों नहीं भरा. इस पर उसने जवाब दिया, 'मेरी सारी संपत्ति कुर्क कर दी गई है और मैं अपनी कानूनी फीस भरने में असमर्थ हूं.'
highlights
- 146 लाख रुपये जुर्माने को चुकाने के लिए पैसे उधार ले रहा भगेड़ा नीरव मोदी
- प्रत्यपर्ण के खिलाफ समीक्षा सुनवाई के लिए भी छह महीने देना होगा जुर्माना
- ब्रिटिश अदालत उसके भारत प्रत्यर्पण के पक्ष में सुना चुकी हैं अपना फैसला
लंदन:
भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी अपने ऊपर लगे 146 लाख रुपये (150,247 पाउंड) के जुर्माने को चुकाने के लिए पैसे उधार ले रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि नीरव गुरुवार को एक वीडियो लिंक के माध्यम से लंदन के बार्किंगसाइड मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश हुआ. वहां उसने बिना वकील के खुद का बचाव किया, क्योंकि उसने अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील के लिए 150,247 पाउंड का भुगतान नहीं किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जुर्माने के भुगतान का आदेश जनवरी में प्रत्यर्पण कार्यवाही न्यायाधीश द्वारा दिया गया था. साथ ही मोदी को इसे कुछ दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया गया था. हालांकि उसने ऐसा नहीं किया था. उसने प्रति माह 10,000 पाउंड (9.7 लाख रुपये) देने की पेशकश की थी और जुर्माना टीम ने इसे अस्वीकार कर दिया था. यही वजह है कि उसे अदालत के सामने लाया गया था.
दो साल से उधार लेकर काम चला रहा नीरव
सुनवाई की पेशी के दौरान अदालत ने नीरव मोदी से पूछा कि उसने जुर्माना क्यों नहीं भरा. इस पर उसने जवाब दिया, 'मेरी सारी संपत्ति कुर्क कर दी गई है और मैं अपनी कानूनी फीस भरने में असमर्थ हूं.' पीठ ने उससे पूछा कि क्या उसे कुछ समय जेल में रहना सही लगेगा, इस पर उसने हां में जवाब दिया. उसने अदालत को आगे बताया कि उसके खिलाफ भारत के आरोप फर्जी हैं और भारत में उसकी संपत्ति पिछले चार साल से सीज है. जब अदालत ने पूछा कि उसे प्रति माह 10,000 पाउंड कहां से मिलेंगे, तो उसने कहा, 'मैं उधार ले रहा हूं. मैं चार साल से जेल में हूं और दो साल के बाद फंड खत्म हो जाने के बाद से उधार ले रहा हूं.'
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छह महीने जुर्माने के भुगतान के बाद सुनवाई
पीठ ने फैसला सुनाया है कि नीरव मोदी छह महीने तक प्रति माह 10,000 पाउंड का भुगतान करेगा, जिसके बाद ही समीक्षा सुनवाई की जाएगी. गौरतलब है कि दो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने एक निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था कि भगोड़े जौहरी को भारतीय अदालतों के सामने जवाब देना ही होगा. अदालत ने यह भी कहा कि ब्रिटिश अधिकारियों के लिए उसे भारत भेजना अन्यायपूर्ण या दमनकारी नहीं होगा. भारतीय अधिकारी फरवरी 2018 से मोदी के प्रत्यर्पण की कोशिशों में है. नीरव मोदी की कंपनियों पर आरोप है कि गहने खरीदने और आयात करने के लिए ऋण प्राप्त करने के लिए नकली वित्तीय दस्तावेजों का उपयोग कर पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी को अंजाम दिया. भारत से भाग जाने के बाद उसे 2019 में लंदन में हिरासत में लिया गया था और तब से जेल में है.
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