तालिबान की दरिंदगी : चौराहे पर शव को क्रेन से लटकाया
शव को शहर के मुख्य चौराहे पर लटकाकर रखा गया था. तालिबान राज में जिंदा लोगों की कौन कहे मुर्दा की भी खैर नहीं है.
highlights
- तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था
- मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया
- हेरात शहर के चौराहे पर लटकाने के लिए कुल चार लोगों के शव लेकर आए
नई दिल्ली:
तालिबान एक बार फिर अपने पुराने रूप में अवतरित हो गया है और उसकी असलियत सामने आने लगी है. अफगानिस्तान (Afghanistan)के हेरात शहर में तालिबान ने एक शव (Dead Body) को क्रेन से लटका (Hang)दिया. इस घटना की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने शनिवार को बताया कि शव को शहर के मुख्य चौराहे पर लटकाकर रखा गया था. तालिबान राज में जिंदा लोगों की कौन कहे मुर्दा की भी खैर नहीं है. तालिबान और उसके शुभचिंतक देश लाख दावा करें कि यह पुराने नहीं नए दौर का तालिबान है. लेकिन तालिबान अपनी क्रूरता से जरा भी पीछे नहीं हटा है.
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान (Taliban Government) ने जब सरकार का गठन किया, तब तरह-तरह के दावे किए. कट्टर संगठन ने कहा कि वह अब पहले जैसा नहीं रहा और महिलाओं समेत अन्य नागरिकों को उनके अधिकार दिए जाएंगे. हालांकि, सरकार का गठन किए हुए ज्यादा समय भी नहीं बीता है कि तालिबान खुल कर अपने असली रूप में आ गया.
लोगों की व्यक्तिगत आजादी और कानूनी अधिकार छीनने के बाद तालिबान अब लोगों के शवों के साथ भी क्रूर व्यवहार कर रहा है. हेरात शहर के मुख्य चौराहे पर फार्मेसी चलाने वाले वजीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि चौराहे पर लटकाने के लिए कुल चार लोगों के शव लेकर आए थे. हालांकि, तालिबान ने एक शव को ही वहां क्रेन से लटकाया और बाकी के तीन शव शहर के दूसरे चौराहों पर लटकाने के लिए ले गए.
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सिद्दीकी ने दावा किया कि शवों को अपने साथ लाने के बाद तालिबानी लड़ाकों ने ऐलान किया इन चार लोगों ने किडनैपिंग की थी, जिसके बाद पुलिस ने इन्हें मार गिराया. इसके बाद तालिबान के लड़ाके उन शवों को अपने साथ लेकर चौराहे पर आ गए. इससे पहले, मुल्लाह नूरुद्दीन तुराबी ने भी हाल ही में कहा था कि किसी घटना के बाद हाथों को काटना और उन्हें फांसी पर लटकाने का नियम खत्म नहीं किया जाएगा. हालांकि, यह हो सकता है कि अब सार्वजनिक जगहों पर ऐसा न किया जाए.
अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सेना के जाने के दौरान ही तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर सितंबर महीने में तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का गठन भी कर लिया. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया है, जबकि वैश्विक आतंकवादी हक्कानी को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.
तालिबान सरकार के गठन के बाद चीन, पाकिस्तान, रूस जैसे देशों से उसे समर्थन मिला है. वहीं, भारत और अमेरिका जैसे देश वेट एंड वॉच जैसी पॉलिसी पर काम कर रहे हैं. हालांकि, दोनों ही देशों ने तालिबान सरकार से दो टूक कहा है कि अफगानिस्तान की धरती का किसी तीसरे देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. पूरी दुनिया की अब इस पर नजर है कि तालिबान अपने 1990 के दशक वाले नियमों में कुछ बदलाव करता है या फिर उसके दावे पूरी तरह से झूठे साबित होते हैं.
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