पाकिस्‍तान के लिए मुसीबत बन सकते हैं तालिबानी आतंकी  

पाकिस्तान के पूर्व राजदूत आसिफ दुर्रानी ने लिखा है कि तालिबान की जीत का जितना जश्न कुछ पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी मना रहे हैं उतना पाक सेना नहीं मना रही. 

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Pradeep Singh
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PAKISTAN ON TALIBAN

पाकिस्तानी तालिबान( Photo Credit : फाइल फोटो.)

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा होने के बाद आने वाले दिनों में दुनिया के अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, ये आने वाला वक्त बतायेगा. लेकिन अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों का सत्ता समीकरण इससे सीधे प्रभावित होता दिख रहा है. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया पाकिस्तान में देखने को मिल रहा है. यह प्रतिक्रिया तालिबान के पक्ष और विपक्ष का है.पाकिस्तान के पूर्व राजदूत आसिफ दुर्रानी ने लिखा है कि तालिबान की जीत का जितना जश्न कुछ पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी मना रहे हैं उतना पाक सेना नहीं मना रही. 

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पाकिस्तान के प्रमुख सुरक्षा विश्लेषक मुहम्मद अमीर राणा ने द डान अखबार में लिखा है कि तालिबान के आने से तहरीक-ए-तालिबान ऑफ पाकिस्तान मजबूत होगा. उन्होंने टीटीपी के नये प्रमुख नूर अली महसूद के इस बयान का भी जिक्र किया है जिसमें उसने पाकिस्तान के ट्राइबल इलाकों को आजाद करने की बात कही है. तालिबानी पाकिस्तान यानी तहरीक ए तालिबान आफ पाकिस्तान (टीटीपी) ने पूर्व में पाकिस्तान के सैन्य व वहां के नागरिक ठिकानों कई खतरनाक हमले किए हैं. इसमें पेशावर स्थित सैनिक स्कूल पर किया गया हमला भी है जिसमें 145 मासूम बच्चों की हत्या हुई थी. 

यह भी पढ़े:अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास की निगरानी कर रहा था तालिबान, ऐसे बचकर निकले

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन का सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान के सीमावर्ती राज्य पर पड़ने वाला है. पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब पाकिस्तान में तालिबान से जुड़े आतंकी संगठन मजबूत होंगे.पाकिस्तान का तालिबान से रिश्ता कभी दोस्ती-दुश्मनी वाली रही है. एक समय पाकिस्तान के हुक्मरान तालिबानी सरदारों को पनाह देते रहे तो कभी अमेरिका के दबाव में उन पर कार्रवाई भी करते रहे.

पाकिस्तान में तालिबानी हमलों में करीब 70 हजार पाकिस्तानी अपनी जान गवा चुके हैं वहीं पाकिस्तान ने भी पूर्व में यह दावा किया है कि उसने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में 50 हजार आतंकियों को मार गिराया है. ऐसे में पाकिस्तान और तालिबान का रिश्ता बहुत मधुर नहीं है. 

इन परिस्थितियों में विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान जिस तरह से अपने स्वरूप में परिवर्तन कर मजबूत हुआ है उसे देखते यह कहा जा सकता है कि  यह संगठन पाकिस्तान के लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है.

दरअसल पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच सीमा विवाद है. अभी तक दोनों देशों की लोकतांत्रिक सरकारें इसको बातचीत के माध्यम से हल करने की कोशिश करते रहे. लेकिन तालिबान शुरू से ही पाकिस्तान व अफगानिस्तान को विभाजित करने वाली सीमा रेखा डूरंड लाइन को स्वीकार नहीं करता. हाल ही में तालिबान ने साफ तौर पर कहा है कि उसे डूरंड लाइन स्वीकार नहीं है. यही नहीं तालिबान का एक धड़ा कभी भी पाकिस्तान के साथ सहज नहीं रहा है. इस्लामाबाद हमेशा इसे एक संभावित खतरे के तौर पर देखता है.

HIGHLIGHTS

  • तालिबानी हमलों में करीब 70 हजार पाकिस्तानी गवा चुके हैं अपनी जान
  • सीमा रेखा डूरंड लाइन को स्वीकार नहीं करता है तालिबान
  • पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं तालिबान को बड़ा खतरा
trouble for Pakistan PM Imran Khan The dawn Taliban terrorists
      
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