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तालिबान के खिलाफ बढ़ रहा विरोध, पंजशीर के मसूद संग आए सालेह-दोस्तम

पंजशीर प्रांत में तालिबान के खिलाफ विरोध की आग तेज हो रही है. इस आग को हवा दे रहे हैं अहमद मसूद. बताते हैं कि इन्हें खुद को केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्लाह सालेह का भी समर्थन मिल चुका है.

Updated on: 20 Aug 2021, 07:11 AM

highlights

  • अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर कई शहरों में अफगानियों का विरोध प्रदर्शन
  • पंजशीर प्रांत में अहमद मसूद, सालेह और दोस्तम का बड़ा गुट ले रहा आकार
  • तालिबान ने विरोध को कुचलने के लिए शुरू किए बर्बर तरीके आजमाना

काबुल :

बीते रविवार को लगभग दो दशकों बाद काबुल (Kabul) पर कब्जे के साथ ही एक तरह से तालिबान (Taliban) ने पूरे अफगानिस्तान (Afghanistan) पर नियंत्रण कर लिया है. यह अलग बात है कि अब कई दिन गुजरने के बाद तालिबान के खिलाफ आवाजें मुखर होने लगी हैं. न सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में बल्कि तालिबान के खिलाफ काबुल समेत कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. खासकर पंजशीर प्रांत में तालिबान के खिलाफ विरोध की आग तेज हो रही है. इस आग को हवा दे रहे हैं अहमद मसूद. बताते हैं कि इन्हें खुद को केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्लाह सालेह का भी समर्थन मिल चुका है. तालिबान के खिलाफ विरोध की इस आग को तेज ज्वाला में बदलने का काम कर सकते हैं पूर्व उपराष्ट्रपति और शक्तिशाली वॉरलॉर्ड अब्दुल रशीद दोस्तम. सूत्रों का कहना है दोस्तम भी तालिबान विरोधी गुट के साथ आ खड़े हुए हैं.  

अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर तालिबान के विरोध में प्रदर्शन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (19 अगस्त) पर काबुल समेत कई शहरों में तालिबान राज के खिलाफ विरोध जाहिर किया गया. काबुल में कुछ लोग हाथों में अफगान का झंडा लेकर सड़कों पर उतरे और 'हमारा झंडा हमारी पहचान' के नारे लगाए. हालांकि ऐसी भी खबरें हैं कि तालिबान ने विरोध कर रहे लोगों पर गोलीबारी की. इस गोलीबारी में कुछ लोगों के मारे जाने की भी खबरें हैं. कुनार प्रांत के असदाबाद में भी तालिबान ने विरोध कर रहे अफगानी नागरिकों पर गोलियां चलाईं. पूर्वी अफगानिस्तान के जलालाबाद और पंक्तियां शहर में भी तालिबान राज के खिलाफ आवाज उठाई गई. तालिबान ने विरोध प्रदर्शन देख क्रूरता बरतनी शुरू कर दी है. 

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पंजशीर प्रांत में तैयार हो रहा तालिबान के खिलाफ गठबंधन
इस बीच तालिबान के कब्जे से बाहर रहे पंजशीर प्रांत में मजबूत विरोध की तैयारी शुरू हो गई है. ताजिक मूल के लोगों में नायक सरीखी पहचान रखने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद इस विद्रोह का नेतृत्व कर रहे हैं. मसूद के साथ केयरटेकर उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और पूर्व उपराष्ट्रपति और देश के ताकतवर वारलॉर्ड अब्दुल रशीद दोस्तम के भी आने की खबरें हैं. विरोधी गुट के नेताओं का कहना है कि उन्हें अब्दुल रशीद दोस्तम का साथ मिल चुका है. यानी तालिबान के खिलाफ दोस्तम की उज्बेक सेना भी लड़ेगी. गौरतलब है कि तालिबान में दोस्तम का अच्छा-खासा खौफ है. दोस्तम पर आरोप लग चुके हैं कि क्रूरता के मामले में उन्होंने तालिबान की बराबरी कर ली थी.