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तालिबान समावेशी सरकार बनाने को तैयार, नहीं झुकेगा अमेरिका के आगे

दोहा में तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने के लिए तैयार है, लेकिन चयनात्मक सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है.

Updated on: 11 Oct 2021, 07:50 AM

highlights

  • अमेरिका संग दोहा बातचीत से पहले ही पलटा तालिबान
  • समावेशी सरकार तो संभव, चयनात्मक सरकार कतई नहीं
  • आईएसआईएस से निपटने में अमेरिका को भी मदद नहीं

काबुल:

दोहा में तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने के लिए तैयार है, लेकिन चयनात्मक सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है. खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के लिए अमेरिका के दबावों के जवाब में शाहीन ने कहा कि उन्होंने अपनी कार्यवाहक सरकार में जातीय अल्पसंख्यकों को शामिल किया है और जल्द ही इसमें महिलाओं को शामिल किया जाएगा. तालिबान की अंतरिम कैबिनेट की ना केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा, बल्कि अफगानिस्तान के लोगों की ओर भी आलोचना की गई क्योंकि इसमें महिलाएं और गैर-तालिबान शामिल नहीं हैं.

अमेरिका अफगानी इच्छाओं का करे सम्मान
शाहीन ने कहा कि अमेरिका को अफगान लोगों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए. यह टिप्पणी कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मोटाकी के नेतृत्व में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के दोहा में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के बाद आई है और रविवार को भी बातचीत हुई. इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई. हालांकि तालिबान ने दोहा बैठक से पहले ही अपना रुख बदल लिया था. उसने अफगानिस्तान में फंसे लोगों की निकासी पर तो हामी भरी रही, लेकिन आईएसआईएस मसले पर अमेरिका को किसी भी तरह का सहयोग देने से इंकार कर दिया था.

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तालिबान का दावा दाएश से निपटने में खुद सक्षम
इस मसले पर सुहैल शाहीन ने कहा कि दाएश से अपने दम पर निपटने में तालिबान सक्षम है. गौरतलब है कि इस्लामिक स्टेट ने मस्जिद में नमाज के वक्त हुए धमाके में 46 शियाओं की मौत हो गई थी. इस धमाके के अलावा आईएस ने कई और आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है. आतंक के प्रचार-प्रसार पर गहन जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक 2014 से आईएस ने शियाओं को निशाना बना कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है. तालिबान के रुख में आए इस बदलाव को अमेरिका ने अच्छे संकेत के तौर पर नहीं लिया है. हालांकि अभी एक दौर की वार्ता और प्रस्तावित है, जिसमें कई अन्य अहम मसलों पर बातचीत होगी.