9/11 हमले की 20वीं बरसी पर होगा बड़ा ऐलान, तालिबान बना सकता है सरकार-रिपोर्ट
अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. सरकार गठन को लेकर लगातार बैठकें जारी हैं. 11 सितंबर को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर तालिबान बड़ा ऐलान कर सकता है.
highlights
- 11 सितंबर 2001 को हुआ था वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला
- हमले की बरसी पर सरकार का ऐलान कर तालिबान देगा संदेश
- सरकार गठन को लेकर तालिबान लगातार कर रहा है बैठकें
काबुल:
अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. सरकार गठन को लेकर लगातार बैठकें जारी हैं. 11 सितंबर को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर तालिबान बड़ा ऐलान कर सकता है. इसी दिन सरकार बनाने की घोषणा की जा सकती है. ताबिलान को तब तक मंत्रियों के नामों पर चर्चा के लिए समय भी मिल जाएगा वहीं अमेरिका को इससे एक खास संदेश देने की भी कोशिश की जाएगी. तालिबान से डील के बाद आखिरकार 20 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी हो चुकी है.
मुल्लाह हसन अखुंद का नाम सबसे आगे
मुल्लाह हसन अखुंद ने 2001 में अमेरिकी सेना के आने से पहले भी तालिबानी शासन में मंत्री पद संभाला है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि हाल ही में हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के चीफ के काबुल दौरे पर मुल्लाह हसन अखुंद के नाम पर सहमति बन गई है. ISI चीफ फैज हामिद अब वापस इस्लामाबाद भी जा चुके हैं. मुल्लाह हसन अखुंद का जन्म कंधार में हुआ था, जिसे तालिबान की जन्मस्थली भी माना जाता है. अखुंद के पास फिलहाल तालिबान के शक्तिशाली संगठन रहबरी शूरा की कमान है, जो अहम फैसले लेती है. इतना ही नहीं मुल्लाह हसन तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा का करीबी भी माना जाता है.
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तालिबान की नई सरकार के गठन को लेकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पूरी तरह एक्टिव हो गई है. वह अफगानिस्तान में अपने खास को सरकार का मुखिया बनाना चाहती है. खबर है कि पाकिस्तान की मदद से ही एक छोटे-मोटे या यूं कह लें जिसे दुनिया नहीं जानती, ऐसे तालिबानी नेता मुल्लाह हसन अखुंद को राष्ट्रपति पद पर बैठाया जाएगा ताकि संगठन के दोनों धड़ों में हो रही उठापटक पर विराम लगाया जा सके सूत्रों के मुताबिक आईएसआई चीफ फैज हामिद ने बीते शनिवार को काबुल की यात्रा कर तालिबान लीडरशिप से मुलाकात की थी. पाक की इच्छा है कि अफगान आर्मी का फिर से गठन किया जाए.
आईएसआई कर रही तालिबान से बातचीत
सूत्रों के मुताबिक- पाकिस्तान को अपने पसंद की सेना सिर्फ हक्कानी के साथ मिल सकती है. काबुल में ISI चीफ ने हामिद करजई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और गुलुबुद्दीन हिकमतयार से मुलाकात की थी. पाकिस्तान यह भी चाहता है कि करजई और अब्दुल्ला को तालिबान नई सरकार में शामिल करे, जिससे वैश्विक स्तर पर सरकार को कुछ वैधता मिल सके. हामिद करजई अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हैं जबकि अब्दुल्ला अब्दुल्ला देश के पूर्व चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर हैं. गुलुबुद्दीन हिकमतयार देश के पूर्व प्रधानमंत्री हैं.
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