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तालिबान ने दानिश को जिंदा पकड़ा, फिर पहचान की पुष्टि कर क्रूरता से मार डाला

अमेरिकी पत्रिका 'वॉशिंगटन एक्जामिनर' की रिपोर्ट के मुताबिक दानिश को तालिबानी आतंकियों ने जिंदा पकड़ा था. फिर उनकी पहचान की पुष्टि करने के बाद तालिबान ने बेहद क्रूरता के साथ उनकी हत्या कर दी.

Updated on: 30 Jul 2021, 07:37 AM

highlights

  • अमेरिकी पत्रिका 'वॉशिंगटन एक्जामिनर' की रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
  • छर्रे लगने से घायल दानिश ने ली थी एक मस्जिद में शरण
  • तालिबान ने वहां हमला बोल सिद्दीकी की पहचान कर मार डाला

नई दिल्ली:

पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान (Afghanistan) में महज क्रॉस फायरिंग में नहीं मारे गए थे. ना ही वह तालिबान (Taliban) और अफगान सुरक्षा बलों की गोलीबारी का शिकार बने. सच तो यह है कि तालिबान ने बकायदा उनकी पहचान कर नृशंस हत्या की थी. इसका खुलासा एक अमेरिकी पत्रिका ने किया है. गौरतलब है कि 38 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश (Danish Siddiqui) अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के संघर्ष को कवर करने गए थे. कांधार के स्पिन बोल्डक इलाके में संघर्ष को कवर करने के दौरान उनकी मौत हो गई थी. 

घायल होने पर स्थानीय मस्जिद में कराया था प्राथमिक उपचार
अमेरिकी पत्रिका 'वॉशिंगटन एक्जामिनर' की रिपोर्ट के मुताबिक दानिश को तालिबानी आतंकियों ने जिंदा पकड़ा था. फिर उनकी पहचान की पुष्टि करने के बाद तालिबान ने बेहद क्रूरता के साथ उनकी हत्या कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक सिद्दीकी ने अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा की ताकि पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर नियंत्रण के लिए अफगान बलों और तालिबान के बीच चल रही जंग को कवर किया जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हमले के दौरान दानिश. इसके बाद वह तथा उनकी टीम को एक स्थानीय मस्जिद में प्राथमिक उपचार दिया गया. हालांकि जैसे ही यह खबर फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है तालिबान ने वहां हमला बोल दिया. स्थानीय जांच में पता चला है कि तालिबान ने सिद्दीकी की मौजूदगी के कारण ही मस्जिद पर हमला किया था.

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तालिबान ने जिंदा पकड़ा था दानिश सिद्दीकी को
रिपोर्ट में कहा गया कि तालिबान ने जब सिद्दीकी को पकड़ा, तो उस वक्त वह जिंदा थे. तालिबान ने सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि की और फिर उन्हें और उनके साथ के लोगों को भी मार डाला. अमेरिकी इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में सीनियर फैलो माइकल रूबीन ने लिखा है, 'व्यापक रूप से प्रसारित एक तस्वीर में सिद्दीकी के चेहरे को पहचानने योग्य दिखाया गया है. हालांकि मैंने भारत सरकार के एक सूत्र द्वारा मुझे प्रदान की गई अन्य तस्वीरों और सिद्दीकी के शव के वीडियो की समीक्षा की, जिसमें दिखा कि तालिबान ने सिद्दीकी के सिर पर हमला किया और फिर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया.' रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान का हमला करने, सिद्दीकी को मारने और फिर उनके शव को क्षत-विक्षत करने का निर्णय दर्शाता है कि वे युद्ध के नियमों या वैश्विक संधियों का सम्मान नहीं करते हैं.' गौरतलब है कि दानिश का शव 18 जुलाई की शाम दिल्ली हवाई अड्डे पर लाया गया और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया था.