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'तक्षशिला' प्राचीन पाकिस्तान में, 'चाणक्य-पाणिनि' पाक के बेटे... हद है झूठ बोलने की

वियतनाम में पाकिस्तान के राजदूत कमर अब्बास खोखर ने, जिन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय को प्राचीन पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए चाणक्य और पाणिनि को पाकिस्तान का बेटा बताया.

Updated on: 14 Dec 2020, 11:45 AM

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान और उनके मंत्री ही मानों कम नहीं थे, अब तो उसके राजदूत भी भारत के खिलाफ झूठी और बेवकूफाना बातों का सहारा लेने लगे हैं. हद तो यह है कि जो पाकिस्तान 1947 में अस्तित्व में आया उसे प्राचीन बताकर लगभग तीन हजार साल पुरानी बातों के साथ पेश किया जा रहा है. यह अद्भुत कारनामा किया है वियतनाम में पाकिस्तान के राजदूत कमर अब्बास खोखर ने, जिन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय को प्राचीन पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए चाणक्य और पाणिनि को पाकिस्तान का बेटा बताया. जाहिर है इसके बाद सोशल मीडिया पर वह बुरी तरह से ट्रोल हो गए.

प्राचीन इतिहास बदलने की नापाक चाल
जाहिर है भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने में लगा पाकिस्‍तान अब झूठी सूचनाओं के जरिए भारतीय उपमहाद्वीप के प्रचीन इतिहास को बदलने में जुट गया है. खोखर ने तक्षशिला विश्‍वविद्यालय की तस्‍वीर को ट्वीट करके कहा, 'तक्षशिला विश्‍वविद्यालय की यह हवाई तस्‍वीर है जो फिर से बनाई गई है. यह यूनिवर्सिटी प्राचीन पाकिस्‍तान में आज से 2700 साल पहले इस्‍लामाबाद के पास मौजूद थी. इस विश्‍वविद्यालय में दुनिया के 16 देशों के छात्र 64 विभिन्‍न विषयों में उच्‍चशिक्षा ग्रहण करते थे जिन्‍हें पाणिनी जैसे विद्वान पढ़ाते थे.'

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वियतनाम के राजदूत की नासमझी
गौरतलब है कि खोखर शायद भूल गए कि पाकिस्‍तान का अस्तित्‍व ही 14-15 अगस्‍त 1947 को आया था. इससे पहले कोई पाकिस्‍तान था ही नहीं. यही नहीं तक्षशिला विश्‍वविद्यालय में पाणिनी और चाणक्‍य जैसे विद्वान पढ़ाते थे. चाणक्‍य भारतीय उपमहाद्वीप के राजा चंद्रगुप्‍त मौर्य के मंत्री थे और उनके साम्राज्‍य की राजधानी पाटलिपुत्र (पटना) थी. हालांकि खोखर के इस दावे को ट्विटर यूजर्स ने ख़ारिज कर दिया और उन्हें काफी ट्रोल भी किया जा रहा है.

झूठ फैला रहे पाकिस्तानी राजनयिक
खोखर ने ट्रोल होने के बावजूद एक अन्य ट्वीट किया और कहा कि दुनिया के पहले भाषाविद पाणिनि और दुनियाभर में बहुचर्चित राजनीतिक दार्शनिक चाणक्‍य दोनों ही प्राचीन पाकिस्‍तान के बेटे थे. जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान काफी वक़्त से अपने यहां स्कूल की किताबों में भी इस तरह का झूठा इतिहास पढ़ाता रहा है. भारतीय इतिहास को इन किताबों में हिंदुओं का इतिहास कहकर पढ़ाया जाता है. छात्रों को बताया जाता है कि हिंदू-मुसलमान के मूल मान्यताओं में बड़ा विरोध है जिसकी वजह से भारत-पाक का बंटवारा हुआ. पाकिस्तान में लगातार स्कूल की किताबों को शासक वर्ग को खुश करने के लिए लिखा जाता रहा है. किताबों में प्रमाणिक तथ्यों को दरकिनार कर कही-सुनी बातों के आधार पर शिक्षा दी जा रही है.

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ऐतिहासिक तथ्यों के सा‌थ छेड़छाड़
पाकिस्‍तान में इतिहास लिखने में की गई सबसे बड़ी गलतियों में से एक है सत्ता वर्ग को खुश करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों के सा‌थ हुई छेड़-छाड़. ये काम पाकिस्तान में लगातार जारी रहा चाहे वहां सैनिक शासन हो या सिविल. इस तरह की गलती उन स्‍थानीय स्कूल बोर्ड के द्वारा की गई जो बच्चों के लिए सेलेबेस निर्माण करने का काम करते हैं. हालांकि बच्चों के टेक्स्ट बुक में इस तरह का खिलवाड़ दोनों की देशों में किया गया है. इस गलती को सुधारने के लिए पाकिस्तान के पहले शिक्षा मंत्री ने 1948 में ही प्रयास किया. उन्होंने कोशिश की इतिहास को प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर लिखा जाए लेकिन उनके इस प्रयास को आगे नही बढ़ाया गया.