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चीन की सीनाजोरी, ताइवान में फिर भेजे 27 लड़ाकू विमान

ताइवान के मंत्रालय द्वारा पेश किए गए नक्शे के अनुसार, बमवर्षक और छह लड़ाकू विमान ताइवान के दक्षिण में बाशी चैनल में प्रवेश किए जो द्वीप को फिलीपींस से अलग करता है.

Updated on: 29 Nov 2021, 09:54 AM

highlights

  • अपनी हरकतों से नहीं आ रहा बाज चीन, फिर से नापाक हरकत
  • ताइवान के वायु रक्षा बफर क्षेत्र में चीन का लड़ाकू विमान किया प्रवेश
  • जवाब में ताइवान की वायु सेना ने भी चीनी विमानों को खदेड़ा

  

ताइपे:

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अपनी विस्तारवादी सोच अपनाए चीन ने फिर से ताइवान को डराने के लिए 27 विमानों को उसके वायु रक्षा बफर क्षेत्र में प्रवेश किया. इस बात की जानकारी ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने दी है. हालांकि बाद में ताइवान की वायु सेना ने भी चीन विमानों का पीछा करते हुए अपने लड़ाकू विमानों को रवाना कर खुली चेतावनी दी है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, उसके एयर डिफेंस बफर एरिया में प्रवेश करने वालों में चीन के 18 लड़ाकू विमान, पांच एच-6 बम वर्षक विमान और ईंधन भरने वाला एक वाई-20 शामिल था.

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ताइवान की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक चीनी विमानों ने ताइवान के दक्षिणी भाग के पास उसके एयर डिफेंस बफर एरिया में प्रवेश किया और चीन लौटने से पहले प्रशांत महासागर में उड़ान भरी.  इस बीच ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति ने अपने शीर्ष जनरलों से मुलाकात की है. 

ताइवान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीनी विमानों ने ताइवान के दक्षिणी भाग के पास उसके वायु रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया और चीन लौटने से पहले प्रशांत महासागर में उड़ान भरी. ताइवान के मंत्रालय द्वारा पेश किए गए नक्शे के अनुसार, बमवर्षक और छह लड़ाकू विमान ताइवान के दक्षिण में बाशी चैनल में प्रवेश किए जो द्वीप को फिलीपींस से अलग करता है. मंत्रालय के अनुसार, उन विमानों के साथ ईंधन भरने वाले विमान भी मौजूद थे. मंत्रालय ने कहा कि ताइवान ने चीनी विमानों को चेतावनी देने के लिए लड़ाकू विमान भेजे, जबकि उनकी निगरानी के लिए मिसाइल सिस्टम तैनात किए गए थे. ताइवान के इस दावे को लेकर चीन की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है. इससे पहले भी चीन ने ताइवान के इलाके लड़ाकू विमान भेजे थे, जिसे लेकर ताइवान सहित पूरी दुनिया ने चीन की काफी आलोचना की थी. हालांकि इसके जवाब में चीन ने कहा था कि इस तरह के कदम देश की संप्रभुता की रक्षा के उद्देश्य से किए गए अभ्यास थे.