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डैनियल पर्ल मामले में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सिंध सरकार की याचिका खारिज की

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया के ब्यूरो प्रमुख 38 वर्षीय डैनियल पर्ल 2002 में पाकिस्तान में जब देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई और अल-कायदा के बीच कथित संबंधों की खबर को लेकर कुछ तथ्य जुटा रहे थे, तभी उनका अपहरण कर लिया गया और उनका सिर

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया के ब्यूरो प्रमुख 38 वर्षीय डैनियल पर्ल 2002 में पाकिस्तान में जब देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई और अल-कायदा के बीच कथित संबंधों की खबर को लेकर कुछ तथ्य जुटा रहे थे, तभी उनका अपहरण कर लिया गया और उनका सिर

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Ravindra Singh
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अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल( Photo Credit : फाइल)

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सिंध सरकार की एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को स्थगित करने की मांग की गई थी. उच्च न्यायालय ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में अल-कायदा के आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को दी गई सजा के फैसले को पलट दिया था. फैसले का पलटा जाना पत्रकार को न्याय दिलाने के अमेरिकी प्रयास को करारा झटका है. ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया के ब्यूरो प्रमुख 38 वर्षीय डैनियल पर्ल 2002 में पाकिस्तान में जब देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई और अल-कायदा के बीच कथित संबंधों की खबर को लेकर कुछ तथ्य जुटा रहे थे, तभी उनका अपहरण कर लिया गया और उनका सिर कलम कर दिया गया था.

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सिंध उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने ब्रिटेन में जन्मे 46 वर्षीय अल-कायदा के आतंकवादी के मौत की सजा को दो अप्रैल को पलट दिया था. 2002 में पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में उसे सजा सुनाई गई थी. वह पिछले 18 वर्षों से जेल में है. अदालत ने उसके तीन सहयोगियों - फहाद नसीम, सलमान साकिब और शेख आदिल को भी बरी कर दिया था, जो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. चारों दोषियों द्वारा 18 वर्ष पहले दायर अपील पर पीठ ने यह फैसला सुनाया. सिंध की सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी और दो मई को मारे गए पत्रकार के माता-पिता ने भी दोषियों को बरी करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.

पाक सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को इस्लामाबाद में अपीलों पर सुनवाई की. उच्चतम न्यायालय ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद सिंध उच्च न्यायालय के फैसले को रोकने से इंकार कर दिया और सिंध सरकार से कहा कि मामले का पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराए. इसने कहा कि याचिका में अप्रासंगिक धाराएं हैं. न्यायमूर्ति मंजूर मलिक ने कहा, सबसे पहले यह साबित किया जाना चाहिए कि डैनियल पर्ल का अपहरण हुआ था. साक्ष्य से स्पष्ट किया जाना चाहिए कि जिसका अपहरण हुआ, वह डैनियल पर्ल था. सिंध सरकार का दावा है कि षड्यंत्र रावलपिंडी में रचा गया. रावलपिंडी में जो षड्यंत्र हुआ उसे भी साक्ष्यों से साबित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, हमें मामले का पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराया जाना चाहिए. मैं सभी रिकॉर्ड को देखना चाहता हूं ताकि मैं सभी बिंदुओं को समझ सकूं.

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सुप्रीम कोर्ट ने मांगा विस्तृत ब्यौरा
उच्चतम न्यायालय ने सिंध सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील फारूक एच. नाइक को आदेश दिया कि अदालत को विस्तृत ब्यौरा सौंपें ताकि अदालत आगे की सुनवाई कर सके. इसके बाद सुनवाई को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. सिंध सरकार ने निचली अदालत के रिकॉर्ड सौंपने के लिए समय मांगा था. न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को देखना होगा कि स्वीकारोक्ति और पहचान परेड कानून के मुताबिक की गयी अथवा नहीं. उन्होंने कहा, तथ्यों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. मशहूर वकील फैजल सिद्दिकी ने चारों आरोपियों को बरी किए जाने और छोड़े जाने के खिलाफ, मारे गए पत्रकार के माता-पिता- रूथ पर्ल और जूडी पर्ल की तरफ से दो मई को दायर दो याचिकाएं दायर की थीं. सिंध उच्च न्यायालय द्वारा दो अप्रैल को शेख की सजा के फैसले को पलटने के दो दिनों बाद प्रांत की सरकार ने कानून-व्यवस्था बरकरार रखने का आदेश जारी किया ताकि दोषियों को जेल में रखा जा सके.

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अल-कायदा आतंकी की मौत की सजा पलटने के बाद यूएस ने की थी आलोचना
अल-कायदा आतंकवादी के मौत की सजा को पलटने के पाकिस्तान की अदालत के फैसले की अमेरिका ने आलोचना की थी और कहीं के भी आतंकवाद के पीड़ितों के लिए अपमान करार दिया. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पर्ल के लिए न्याय की मांग कर पाकिस्तान पर दबाव बनाया है. पोम्पियो ने अप्रैल की शुरुआत में एक ट्वीट में कहा, अमेरिका डैनियल पर्ल को नहीं भूलेगा. हम उन्हें साहसी पत्रकार के तौर पर सम्मान देना जारी रखेंगे और उनके लिए न्याय मांगते रहेंगे. पिछले महीने भी अमेरिका ने पर्ल के लिए पाकिस्तान से न्याय की मांग की थी. 

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