Sudan unrest live news, Indians asked to stay indoors amid army-paramilitary clash : उत्तरी-पूर्वी अफ्रीका में सूडान नाम का देश है. साल 2018 से वहां पर बवाल चल रहा है. अब तक सत्ता पर सेना काबिज थी. फिर नागरिकों के प्रदर्शन और बहिष्कार के बीच 39 महीने पहले वहां नागरिक सरकार बनाई गई. इस दौरान देश पर सेना का कब्जा रहा. लेकिन 2018-2019 के प्रदर्शनों के दौरान एक मिलिशिया ( Private Army ), जिसे अर्धसैनिक बल की मान्यता मिल गई थी, उसने नागरिकों के प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिए कई हिंसक कार्रवाईयों को अंजाम दिया. विरोध प्रदर्शनों समेत तमाम छोटी-मोटी झड़पों पर अबतक 300-400 लोग मारे जा चुके हैं. इस बीच, उस मिलिशिया जिसे अब रैपिड सपोर्ट फोर्स (Rapid Support Forces) नाम के पैरामिलिट्री फोर्स का दर्जा मिल चुका है, ने खुद को सेना में समाहित करने की मांग की. जिसे न माने जाने की सूरत में अब उसने विद्रोह कर दिया है. देश के महत्वपूर्ण ठिकानों पर सेना को पीछे धकेल उनपर कब्जा कर लिया है. जिसमें राष्ट्रपति भवन से लेकर राजधानी खारतूम के इंटरनेशनल एयरफोर्स तक पर. इस बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों से अपील की है कि वो घरों से बाहर न निकलें, वर्ना उन्हें नुकसान पहुंच सकता है.
भारत सरकार ने की ये अपील
भारत सरकार ने एडवायजरी जारी की है. लोगों से अपील की है कि वो सुरक्षित जगहों पर रहें. क्योंकि अभी लोगों को बाहर निकालने की कोई योजना बन नहीं पाई है. भारत सरकार ने ये एडवायजरी तब जारी की है, जब कुछ लोगों ने भारत सरकार से अपील की थी कि वो भारतीय नागरिक हैं और राजधानी खारतूम में हिंसा फैल गई है. उनकी जान को खतरा है और सरकार उन्हें यहां से बाहर निकालने के लिए कदम उठाए. इसके बाद सरकार ने कहा है कि वो जहां हैं, वहीं बने रहें और खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करें.
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साल 2021 में हुआ था तख्तापलट
दरअसल, 39 महीने पुरानी नागरिक सरकार का तख्तापलट साल 2021 के अक्टूबर महीने में कर दिया गया था. तब से एक कमेटी पूरे देश का काम काज रही है और नागरिक सरकार की ओर देश को ले जाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. इस कमेटी के अध्यक्ष हैं जनरल अब्देल फतह अल बुरहा. जो सेना के भी प्रमुख हैं. वहीं, कमेटी के उपाध्यक्ष हैं जनरल मोहम्मद हमदान डगलो. वो आरएसएफ के हेड हैं. योजना है कि सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स को मिला दिया जाए. लेकिन इसका नेतृत्व कौन करेगा, इस पर विवाद है. ऐसे में आरएसएफ ने सूडान में एक तरह से विद्रोह ही कर डाला है और अधिकतर महत्वपूर्ण जगहों को नियंत्रण में ले लिया है. यहां दिक्कत ये है कि रैपिड सपोर्ट फोर्स (Rapid Support Forces) ने अपने कब्जे के दौरान नागरिकों को बुरी तरह से कुचल दिया था. जिसकी वजह से उसे नागरिकों का समर्थन कम मिल रहा है. लेकिन वो ताकत के मामले पर आम सेना पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में वैश्विक नेताओं और संगठनों से दोनों ही संगठनों के मुखिया को आपस में बातचीत करने की अपील की है, ताकि सूडान में शांति लौट रहे और आम जनता भी चैन से रह सके. साथ ही देश में लोकतंत्र भी लौट सके.
HIGHLIGHTS
- अफ्रीकी देश सूडान में भयंकर घमासान
- आर्मी और पैरा मिलिट्री फोर्स आपस में भिड़ी
- राजधानी के अहम ठिकानों पर पैरा मिलिट्री फोर्स का कब्जा