अमेरिका को भारी न पड़ जाए गर्भपात कानून को रद्द करना, आंकड़े तो यही कह रहे
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड फैसला पलटते हुए इसे कानूनी मान्यता देने या प्रतिबंधित करने का अधिकार राज्यों को दे दिया है. हाल-फिलहाल अमेरिका के 16 राज्यों में गर्भपात वैध है.
highlights
पचास साल पुराने रो बनाम वेड के फैसले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
इस फैसले के खिलाफ अमेरिका भर में हो रहे हैं बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन
विशेषज्ञ इसे अवैध करार देने के बाद गिना रहे हैं तमाम तरह की आशंकाएं
वॉशिंगटन:
अमेरिका (America) में गर्भपात को मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने रो बनाम वेड फैसले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा विगत दिनों पलटे जाने के बाद से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. सिर्फ अमेरिका ही नहीं संयुक्त राष्ट्र (United Nations) समेत दुनिया के कई देश और हस्तियां इस फैसले को पलटने के खिलाफ बयान दे चुके हैं. कुछ इसे निजता का हनन बता रहे हैं, तो कुछ मानवाधिकारों (Human Rights) का. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून पर राज्यों को अपने नियम बनाने के अधिकार दे दिए हैं. फिर भी आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका के अलबामा, जॉर्जिया, इंडियाना समेत 51 में से 24 राज्य गर्भपात को अवैध घोषित करने वाले हैं. इस बीच ऐसी आशंका भी जताई जा रही है कि इस फैसले का सबसे ज्यादा असर कमजोर तबके पर पड़ेगा. गौरतलब है कि अमेरिका में गर्भपात की दर सबसे ज्यादा है. ऐसे में गर्भपात के अपराधीकरण के क्या परिणाम सामने आ सकते हैं, एक नजर इस पर...
किन पर पड़ेगा असर
अगर नस्लीय आधार पर देखें तो रो बनाम वेड फैसले को रद्द करने का सबसे ज्यादा असर 20 की उम्र की कुंवारी गैर-हिस्पैनिक लड़कियों पर पड़ेगा. वह पहली बार गर्भधारण करने के बाद बच्चे को जन्म देने की इच्छुक नहीं रहती. सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कानूनी तौर पर गर्भपात कराने वालों में 85.5 फीसद कुंवारी लड़कियां थी. अगर उम्र के आधार पर बात करें तो 2019 में गर्भपात कराने वाली 57 फीसदी महिलाएं 20 के वय़ में थीं. इसके विपरीत 30 की वय में गर्भपात कराने की दर 30 फीसदी थी. जातीयता के आधार पर गर्भपात के आंकड़ों को देखें तो गैर-हिस्पैनिक अश्वेत महिलाओं में गर्भपात कराने की दर प्रति हजार में सबसे ज्यादा 23.8 देखी गई. गैर हिस्पैनिक श्वेत महिलाओं और हिस्पैनिक मूल की महिलाओं में यही दर क्रमशः 6.6 और 11.78 देखी गई. 2019 के इन आंकड़ों में आधे से ज्यादा यानी 58.2 फीसद ने पहली बार गर्भपात कराया था, जबकि एक बार या अधिक गर्भपात कराने वाली महिलाओं की संख्या 23.8 फीसद थी, जो इसके पहले साल भी गर्भपात करा चुकी थीं.
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महिलाओं के कामकाज पर पड़ेगा असर...
अनियोजित मातृत्व सुख से महिलाओं के प्रोफेशनल कैरियर पर भी जबर्दस्त असर पड़ेगा. अभी तक जो महिलाएं कानूनी तरीके से गर्भपात करवा अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने, उच्च शिक्षा प्राप्त करने और अपने कैरियर में आगे बढ़ रही थी, वह मातृत्व के फेर में पड़ इससे वंचित रह जाएंगी. इसका सीधा असर उनकी आर्थिक हैसियत पर पड़ेगा और वे अपने जीवन के उत्तरार्ध में गरीबी का अभिशाप झेलने को विवश होंगी. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले 154 अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कानून गर्भपात से किशोरवय लड़कियों के मां बनने की दर में एक-तिहाई कमी आई थी, जबकि किशोरवय में ही शादी करने वाली लड़कियों की संख्या में एक-पांचवीं की दर से कमी दर्ज की गई थी. विश्व बैंक के आंकड़े भी कहते हैं कि सत्तर के दशक में जब गर्भपात को कानूनी संरक्षण दिया गया था यानी 1973 में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति 56.7 फीसदी थी. 2021 में यही आंकड़ा 83 फीसदी पहुंच गया था. यानी कानूनन गर्भपात का अधिकार मिलने से श्रम बाजार में उनकी भागीदारी बढ़ी थी.
गरीब अमेरिकी भी होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
रो बनाम वेड वाले फैसले को रद्द करने का सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब तबके पर ज्यादा पड़ेगा. इसके साथ ही अवैध गर्भपात के मामलों में वृद्धि होगी. अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड फैसला पलटते हुए इसे कानूनी मान्यता देने या प्रतिबंधित करने का अधिकार राज्यों को दे दिया है. हाल-फिलहाल अमेरिका के 16 राज्यों में गर्भपात वैध है. ऐसे में इस कानून के अमल में आते ही 26 राज्यों के 790 गर्भपात केंद्र बंद हो जाएंगे. ऐसे में जहां-जहां गर्भपात को कानूनी संरक्षण मिला हुआ होगा, वहां का सफर भी इस तबके को बहुत भारी पड़ेगा. औसतन यह सफर 276 मील का पड़ेगा, जिसे तय करने का अतिरिक्त बोझ गर्भपात की इच्छुक महिलाओं पर पड़ेगा.
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अमेरिका में कितनी महिलाएं कराती हैं गर्भपात
अगर अमेरिकी सरकार के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के आंकड़ों पर जाएं तो 2019 में 6 लाख 30 हजार महिलाओं ने गर्भपात कराया. वहीं, यदि न्यूयॉर्क स्थित गटमैचर इंस्टीट्यूट के आंकड़ों की बात करें तो इसी साल गर्भपात के आंकड़े 9 लाख 30 हजार पार रहे. इसके पहले गर्भपात के आंकड़े कहीं और ज्यादा रहे. मसलन 1990 में सीडीसी और गटमैचर के मुताबिक क्रमशः 14 लाख और 16 लाख गर्भपात कराए गए. दोनों ही के आंकड़ों में इतना अंतर सिर्फ डाटा एकत्र करने के तौर-तरीकों से आया है. सीडीसी जहां राज्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को आधार बनाता है, वहीं, गटमैचर गर्भपात करने वाले एक-एक शख्स की जानकारी जुटाता है. अमेरिका में गर्भपात के आंकड़ों को प्रजनन के लिए महिलाओं की उम्र से भी जोड़ कर देखा जाता है. दूसरे शब्दों में 15 से 44 के बीच वय की महिलाओं में हाल के सालों में गर्भपात की दर बढ़ी है. गटमैचर के मुताबिक 2017 के प्रति हजार 13.5 गर्भपात की तुलना में 2020 में यही दर 14.4 पहुंच गई. सीडीसी भी 2017 के 11.1 के मुकाबले 2020 में 11.4 गर्भपात प्रति हजार की बात कह रहा है.
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